आजादी का अमृत महोत्सवः पीएम मोदी ने रखा देश के सामने पांच सकल्प

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Amrit Festival of Independence: PM Modi laid five resolutions in front of the country
क्या हम स्वभाव से संस्कार से रोजमर्रा की जिंदगी में नारी को अपमानित करने वाली हर बात से मुक्ति का संकल्प ले सकते हैं।

नईदिल्ली। आज पूरा देश आजादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है। सरकार के प्रयास से हर घर में तिरंगा लहरा रहा है। इस अवसर पर आज पीएम मोदी ने लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित किया। प्रधानमंत्री मोदी ने नौवीं बार लाल किले से राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराया। इस दौरान 21 तोपों की सलामी भी दी गई। लाल किले पर उन्होंने देश के सामने 5 संकल्प रखे। उन्होंने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के एक नए नाम पीएम समग्र स्वास्थ्य मिशन, के विस्तार का भी उल्लेख किया। गांधी, नेहरू, सावरकर का जिक्र भी किया।

हम नारी का अपमान करते हैं

पीएम ने नारी शक्ति के सम्मान और उनके गौरव की बात करते हुए भावुक भी हो गए। उन्होंने कहा, मैं एक पीड़ा जाहिर करना चाहता हूं। मैं जानता हूं कि शायद ये लाल किले का विषय नहीं हो सकता। मेरे भीतर का दर्द कहां कहूं। वो है किसी न किसी कारण से हमारे अंदर एक ऐसी विकृति आई है, हमारी बोल चाल, हमारे शब्दों में, हम नारी का अपमान करते हैं। क्या हम स्वभाव से संस्कार से रोजमर्रा की जिंदगी में नारी को अपमानित करने वाली हर बात से मुक्ति का संकल्प ले सकते हैं। नारी का गौरव राष्ट्र के सपने पूरे करने में बहुत बड़ी पूंजी बनने वाला है। ये सामर्थ्य मैं देख रहा हूं।

यह है पीएम मोदी के पांच सकल्प

पीएम ने कहा कि अगर हम अपनी ही पीठ थपथपाते रहेंगे तो हमारे सपने कहीं दूर चले जाएंगे। इसलिए हमने कितना भी संघर्ष किया हो उसके बावजूद भी जब आज हम अमृत काल में प्रवेश कर रहे हैं, तो अगले 25 साल हमारे देश के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। आज मैं लाल किले से 130 करोड़ लोगों को आह्वान करता हूं। साथियों मुझे लगता है कि आने वाले 25 साल के लिए भी हमें उन पांच प्रण पर अपने संकल्पों को केंद्रित करना होगा। हमें पंच प्रण को लेकर, 2047 जब आजादी के 100 साल होंगे, आजादी के दीवानों के सारे सपने पूरे करने का जिम्मा उठाकर चलना होगा।

1ः अब देश बड़े संकल्प लेकर ही चले। बहुत बड़े संकल्प लेकर चलना होगा। बड़ा संकल्प है, विकसित भारत।
2ः किसी भी कोने में हमारे मन के भीतर गुलामी का एक भी अंश अगर अभी भी है तो उसको किसी भी हालत में बचने नहीं देना है। अब शत प्रतिशत सैंकड़ों साल की गुलामी में जो हमें जकड़कर रखा है, हमें उससे मुक्ति पानी ही होगी।
3ः हमें हमारी विरासत पर गर्व होना चाहिए। यही विरासत जिसने कभी भारत का स्वर्णिम काल दिया था। इस विरासत के प्रति हमें गर्व होना चाहिए।

न कोई अपना न कोई पराया

4ः एकता और एकजुटता। 130 करोड़ देशवासियों मे एकता। न कोई अपना न कोई पराया। एकता की ताकत एक भारत श्रेष्ठ भारत के सपनों के लिए हमारा चौथा प्रण है।
5ः नागरिकों का कर्तव्य। जिसमें पीएम भी बाहर नहीं होता, सीएम भी बाहर नहीं होता है। वो भी नागरिक हैं। आने वाली 25 साल के सपनों को पूरा करने के लिए एक बहुत बड़ी प्राणशक्ति है। जब सपने बड़े होते हैं। जब संकल्प बड़े होते हैं तो पुरुषार्थ भी बहुत बड़ा होता है।

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