मुंबई। महाराष्ट्र की राजनीति में फिर कुछ पर्दे के पीछे चल रहा है, इसकी बानगी सुबह संजय राउत के ट्वीट से ता चला। वहीं दोपहर बाद उद्धव ठाकरे एनडीए के राष्ट्रपति उम्मीदवार मुर्मू का समर्थन करेगी। इस बारे में औपचारिक एलान पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे ने किया। राउत ने कहा कि सोमवार को हमने शिवसेना की बैठक में द्रौपदी मुर्मू को समर्थन के मुद्दे पर चर्चा की। मुर्मू को समर्थन करने का मतलब यह नहीं है कि हम भाजपा का समर्थन कर रहे हैं। हम आदिवासी नेता के नाम पर द्रौपदी मुर्मू का समर्थन कर सकते हैं। हम पहले भी ऐसे फैसले लेते रहे हैं। शिवसेना किसका समर्थन करेगी यह एक दो दिन में स्पष्ट हो जाएगा। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे इस पर निर्णय करेंगे।
राकपा ने जताई अनभिज्ञता
शिवसेना के इस निर्णय के बाद महा विकास अघाडी में साझेदार राकांपा ने शिवसेना के इस एलान से अनभिज्ञता जताई है। पार्टी नेता छगन भुजबल ने कहा कि शिवसेना ने राष्ट्रपति चुनाव में किसी को भी समर्थन देने पर फैसला नहीं किया है। उसे अब भी आखिरी फैसला लेना है। यह तय है कि शिवसेना पार्टी को मजबूत करने की ओर काम कर रही है। जब इतने सारे लोग एक साथ पार्टी छोड़ दें तो आगे की कोशिशें नीचे से शुरू करनी होती हैं और उद्धव जी यही काम कर रहे हैं।
शिवसेना नेता राउत ने आगे कहा कि विपक्ष जीवित रहना चाहिए। विपक्ष के प्रत्याशी यशवंत सिन्हा के प्रति भी हमारी सद्भावना है। पूर्व में हमने राष्ट्रपति पद के लिए प्रतिभा पाटिल का समर्थन किया था। वे एनडीए की प्रत्याशी नहीं थीं। हमने प्रबण मुखर्जी का भी समर्थन किया था। राउत ने कहा कि शिवसेना किसी दबाव में फैसला नहीं करती।
पार्टी सांसद मुर्मू के पक्ष में
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार राष्ट्रपति चुनाव के मुद्दे पर हुई बैठक में शिवसेना के कई सांसदों ने मुर्मू के समर्थन के पक्ष में राय प्रकट की थी। इस बैठक में संजय राउत कथित तौर पर अलग-थलग पड़ गए थे। उन्होंने शिवसेना द्वारा विपक्ष के साझा प्रत्याशी यशवंत सिन्हा के समर्थन की अपील की थी। पार्टी सूत्रों का कहना है कि शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे पार्टी के अधिकांश सांसदों की राय से सहमत होकर मुर्मू के समर्थन का एलान कर सकते हैं। राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान 18 जुलाई को होगा।
राउत के ट्वीट के कई मायने
संजय राउत के ट्वीट के कई मायने निकाले जा रहे हैं। इस ट्वीट से एक संकेत यह है कि शिवसेना आने वाले समय में कोई बड़ा फैसला ले सकती है। यानी कि शिवसेना या तो भाजपा के साथ समझौता कर लेगी या फिर नए स्तर से अपनी शुरुआत करेगी। वहीं दूसरे संकेत की बात करें तो यह महा विकास अघाड़ी के भविष्य को लेकर भी हो सकता है।
इसे भी पढ़े..