महाराष्ट्र: संजय राउत की बागियों को चेतावनी ‘कब तक छिपोगे गुवाहाटी में, आना ही पड़ेगा चौपाटी में, जानिए इसका मतलब

212
Maharashtra: Preparations to take Sanjay Raut and relatives into ED custody
गिरफ्तारी के लिए ईडी के अधिकारी पहुंच गए। टीम में करीब 10 से 12 अफसर हैं।

मुंबई। महाराष्ट्र में मचे सियासी घमासान में उद्धव सरकार दांव पर लगी है।इस बीच दोनों तरफ से गीदड़ भभकी का खेल चल रहा है। शिवसेना के वरिष्ठ नेता ंजय राउत ने बागियों को चेतावनी दी ​है कि कब तक गुवाहाटी में छीपे रहोगे कभी तो महाराष्ट्र में आना पड़ेगा। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार राज्य में सरकार बनाने के लिए भाजपा भी सक्रिय हो गई है। पहले भाजपा नेता व पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे के बीच मुलाकात की खबरें सामने आ रही है। शनिवार देर रात असम के मंत्री अशोक सिंघल भी शिवसेना के बागी विधायकों से मिलने गुवाहाटी के रैडिसन ब्लू होटल पहुंचे। इन सबके बीच असली शिवसेना को लेकर भी विवाद खड़ा हो गया है। शिंदे गुट की ओर से बालासाहेब के नाम पर अलग पार्टी का मामला चुनाव आयोग तक पहुंच सकता है।

बढ़ रही शिवसेना पर कब्जे की लड़ाई

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि भाजपा महाराष्ट्र में सरकार बनाने का दावा पेश करने को लेकर जल्दी में नहीं है। असल में भाजपा शिवसेना के आंतरिक संघर्ष के नतीजों के आधार पर फैसला करेगी। फिलहाल भाजपा शिवसेना के संघर्ष को इसके नगर निगमों, नगर निकायों व कस्बों तक के स्तर पर उतरने का इंतजार कर रही है।

आदित्य का दावा, बागियों पर खर्च हो रहे रोज नौ लाख

शिवसेना नेता व महाराष्ट्र सरकार में मंत्री आदित्य ठाकरे ने बागी विधायकों व भाजपा पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, हमारे विधायकों को जबरन असम ले जाया गया है। वहां उन पर हर दिन नौ लाख रुपये खर्च किए जा रहे हैं। जबकि, असम में बाढ़ से लाखों लोग पीड़ित हैं। उन्हें खुद के भरोसे छोड़ दिया गया है। आदित्य ठाकरे ने कहा, पूरे देश ने देखा कि जिसने कोरोना के दौरान सबसे अच्छा काम किया, उसे अपना सरकारी आवास छोड़ना पड़ा। बागी विधायकों पर कहा, अगर आप शिवसेना के बिना लड़ने के लिए तैयार हैं, तो हम तैयार हैं। हम किसी भी कीमत पर आपको जीतने नहीं देंगे।

वहीं शिवसेना की ओर से शनिवार को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई गई थी। इस बैठक में दिवंगत बालासाहेब के नाम के इस्तेमाल के संबंध में प्रस्ताव पारित हुआ। प्रस्ताव में कहा गया है कि कोई भी अन्य राजनीतिक संगठन शिवसेना या उसके संस्थापक बाल ठाकरे के नाम का इस्तेमाल नहीं कर सकता है। दरअसल, शिंदे गुट की ओर से अपने समूह का नाम शिवसेना बालासाहेब रखने के बाद यह प्रस्ताव पारित हुआ।

इसे भी पढ़ें…

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here