बिजनौर । यूपी के बिजनौर में सूदखोरों से परेशान होकर खुदकुशी करने वाली Funeral of mother and daughters के लिए भी घर में कुछ नहीं था। इसके बाद ग्रामीणों ने चंदा करके रुपये जुटाए, फिर तीनों को कफन नसीब हो सका। गुरुवार देर रात जब तीनों के शव एक साथ उठे तो गांव में शोक की लहर दौड़ गई , हर किसी की आंख से आंसू बह उठे। गमगीन माहौल में रात में 11 बजे कडूला नदी के तट पर अंतिम संस्कार किया गया।
गुरुवार सुबह बिजनौर जिले के नूरपुर के गांव टंडेरा गांव में पुखराज सिंह ने पत्नी और दो बेटियों के साथ जहर खा लिया था। हालत बिगड़ने पर चारों को अस्पताल ले जाया गया। इलाज के दौरान पुखराज की पत्नी रमेशिया, बेटी अनीता उर्फ नीतू, छोटी बेटी सविता उर्फ सीटू की मौत हो गई। जबकि पुखराज मेरठ मेडिकल में जिंदगी मौत की जंग लड़ रहा है। देर शाम मां-बेटियों के शव पोस्टमार्टम होने के बाद घर पहुंचे तो पूरा गांव उमड़ पड़ा। रिश्तेदार भी पहुंचे। तीनों शव देखकर हर किसी की आंख में आंसू आ गए। पहले तो दिन निकलने पर अंतिम संस्कार करने की बात कही गई, मगर बाद में रात में ही अंतिम संस्कार का निर्णय लिया गया।
बेटे ने दी मुखाग्नि
रात में ग्रामीणों और रिश्तेदारों ने अर्थी तैयार करने और अंतिम संस्कार की प्रक्रिया में लगने वाले सामान की व्यवस्था की। रात में 11 बजे तीनों शवों को अंतिम संस्कार के लिए कडूला नदी पर ले जाया गया। जहां बेटे सचिन ने अपनी मां और दोनों बहनों की चिता को मुखाग्नि दी। पुखराज अस्पताल में भर्ती है, जो जिंदगी और मौत से जूझ रहा है। घर के आंगन में उसकी पत्नी और दोनों बेटियों की अर्थियां तैयार की जा रही थी। हर कोई यह भी कहता नजर आया कि पुखराज आखिरी बार बेटियों और पत्नी तक का चेहरा भी नहीं देख पाया। गरीब परिवार के पास खेती की जमीन, न ही कोई स्थायी रोजगार। बस मजदूरी ही भरण पोषण का सहारा थी। बेटी के विवाह में लिया गया कर्ज उतरने की बजाय ऐसे बढ़ा कि परिवार साहूकारों के चंगुल में फंस गया। आए दिन किसी न किसी को पैसे लौटाने की मशक्कत व घर की जरूरतों को पूरा करना एक चुनौती बन गई थी। यही चुनौती जीवन पर भारी पड़ गई और एक परिवार पूरी तरह से उजड़ गया।
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