काशी का घंटा अब मथुरा में बजेगा, 8 किमी दूर तक सुनाई देगी आवाज, 15 महीने में बनकर हुआ तैयार

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Kashi bell will now ring in Mathura, sound will be heard up to 8 km away, ready in 15 months
मथुरा आश्रम से ही सभी धातुएं लाई गई थीं,​ घंटे पर विभिन्न कलाकृतियां उकेरी गई है।

वाराणसी । भगवान भोले की नगरी काशी में बने भव्य घंटे की आवाज अब भगवान श्रीकृष्ण की नगरी मथुरा में गुंजेगी। 15 माह में बनकर तैयार हुआ यह तीन टन का घंटा अपने आप में भव्य है,इससे ज्यादा इससे निकलने वाली ध्वनी काफी दिव्य मानाी जाती है। यह आकर्षक घंटा श्रीकृष्ण की बाल लीलास्थली रमणरेती (महावन, मथुरा) स्थित श्रीउदासीन कार्ष्णि आश्रम में लगेगा।इसे भगवान श्रीकृष्ण की आरती के समय बजाया जाएगा, इसकी आवाज सात से आठ किलोमीटर दूर तक सुनाई देगी।

काशी के कबीरनगर स्थित श्रीउदासीन कार्ष्णि आश्रम से बुधवार को ट्रस्टी स्वामी ब्रजेशानंद सरस्वती ने वाहन पर रखे घंटे का विधिवत पूजन कर उसे हरी झंडी दिखाकर मथुरा के लिए रवाना किया। यह घंटा पूर्णिमा तिथि पर यानी गुरुवार को मथुरा पहुंच जाएगा। इसके बाद वहां पूजन-अर्चन के बाद रमणरेतीधाम परिसर स्थित रमनबिहारी मंदिर में लगाया जाएगा। इसके साथ सात और 150-150 किलो के घंटे लगेंगे जो सात सुरों में बजेंगे।

दस कारीगरों ने किया तैयार

बता दें कि यह घंटा मंदिर में सुबह-शाम आरती के समय बजाया जाएगा। संयोजक केशव जालान व निधिदेव अग्रवाल ने बताया कि शिवपुर में 15 महीने में दस कारीगरों ने मिलकर इसे तैयार किया है। इसमें पीतल के अलावा अन्य धातुओं का इस्तेमाल किया गया है। स्वामी जी ने बताया कि देशभर में कुल 15 श्रीउदासीन कार्ष्णि आश्रम है। धीरे-धीरे अन्य आश्रमों में स्थापित मंदिरों में भी ऐसे घंटे लगाए जाएंगे। काशी में पहली बार तीन टन वजन का बना घंटा छह फीट ऊंचा और पांच फीट चौड़ा है। कारीगर प्रताप विश्वकर्मा ने बताया कि इसमें पीतल की मात्रा ज्यादा है। वैसे इसको बनाने में अष्टधातु का इस्तेमाल किया गया। मथुरा आश्रम से ही सभी धातुएं लाई गई थीं,​ घंटे पर विभिन्न कलाकृतियां उकेरी गई है।

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