बसपा के अकेले चुनाव लड़ने से राजनीतिक दलों की बढ़ी बचैनी, राजनीतिक दलों को डर भाजपा को होगा फायदा

लखनऊ।लोकसभा चुनाव में बसपा के अकेले चुनाव लड़ने के एलान से राजनीतिक दलों की बेचैनी बढ़ गई है।अभी तक बसपा को इंडिया गठबंधन में लाने की कवायद की जा रही थी, लेकिन मायावती के दांव से कांग्रेस समेत अन्य दलों की बेचैनी बढ़ गई है।दरअसल बसपा अब सभी सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारेगी जो इंडिया गठबंधन के लिए मुसिबत बढ़ जाएगी। बसपा प्रमुख के एलान से इंडिया गठबंधन के एकजुट होकर चुनाव लड़ने का सपना चकनाचूर हो गया।

वोटरों का होगा बंटवारा

बसपा के अकेले चुनावी मैदान में उतरने से मुस्लिम और दलित वोटरों का बंटवारा होगा। दरअसल बसपा के हर सीट पर प्रत्याशी उतारने से अधिकांश सीटों पर मुकाबला त्रिकोणीय हो जाएगा। बसपा अधिकांश मस्लिम बहुल्य सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारेगी और सपा भी मुस्लिम प्रत्याशी उतारेगी इसका सीधा फायदा भाजपा के हिन्दू प्रत्याशियों को होगा।

भाजपा को होगा फायदा

बसपा के अकेले चुनाव लड़ने फैसले पर भाजपा जिलाध्यक्ष डॉ. महेंद्र सिंह सैनी का कहना है कि अनुसूचित वर्ग का पढ़ा-लिखा तबका प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पसंद करता है। बसपा प्रत्याशी अलग होने से भाजपा को इसका फायदा होगा। हाल ही में हमने अनुसूचित बस्ती संपर्क अभियान चलाया। यह सब उसी का परिणाम है। इसके माध्यम से भाजपा की नीतियां हर वर्ग तक पहुंचाने का काम किया गया। वहीं कांग्रेस नेता मुजफ्फर अली का कहना है कि बसपा का चाहे जो फैसला हो, कांग्रेस हर बूथ स्तर तक मजबूती के साथ खड़ी है।

अगर गठबंधन भी नहीं हुआ तो भी कांग्रेस प्रत्याशी को जीत मिलेगी। राजनीति में सब संभव है। यदि गठबंधन होता है तो वह भी निभाया जाएगा। अभी चुनाव का समय बाकी है। रालोद नेता राव कैसर का कहना है कि अगर सांप्रदायिक ताकतों का मुकाबला करना है तो सभी दलों को एक साथ आना होगा। इसी उद्देश्य के साथ इंडिया गठबंधन बना है। इस चुनाव से साबित हो जाएगा कि कौन इन ताकतों का मुकाबला करना चाहता है और कौन नहीं।

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