प्रयागराज। मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि-ईदगाह विवाद को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई गुरुवार को हुई। कोर्ट ने हिंदू पक्ष की याचिका को स्वीकार कर लिया है। कोर्ट ने अपने आदेश कहा कि पहले कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करने की अर्जी पर होगी सुनवाई होगी। इसके बाद याचिका की पोषणीयता पर विचार किया जाएगा। हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि कोर्ट ने शाही ईदगाह मस्जिद पक्ष की दलीलें खारिज कर दी हैं। अदालत का यह फैसला ऐतिहासिक है, इससे अब आगे की राह आसान होगी।
कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करने की अर्जी पर होगी सुनवाई
जज ने कहा कि पहले कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करने की अर्जी पर सुनवाई होगी। इसके बाद याचिका की पोषणीयता पर विचार किया जाएगा। कोर्ट अब 18 दिसंबर को कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करने के मामले में सुनवाई करेगी। हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हमारे आवेदन को स्वीकार कर लिया है, जिसमें हमने एडवोकेट कमिश्नर द्वारा (शाही ईदगाह मस्जिद) के सर्वेक्षण की मांग की थी। 18 दिसंबर को इसकी रूपरेखा तय होगी। कोर्ट ने शाही ईदगाह मस्जिद की दलीलें खारिज कर दी हैं। हमारी मांग थी कि शाही ईदगाह मस्जिद में हिंदू मंदिर के बहुत सारे निशान और प्रतीक चिह्न हैं। वास्तविक स्थिति जानने के लिए एक सर्वे की जरूरी है। उन्होंने अदालत के इस फैसले को ऐतिहासिक बताया है।
ये है पूरा मामला
ऐसा कहा जाता है कि औरंगजेब ने श्रीकृष्ण जन्म स्थली पर बने प्राचीन केशवनाथ मंदिर को गिराकर उसी जगह 1669-70 में शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण कराया था। 1770 में गोवर्धन में मुगलों और मराठाओं में जंग हुई। इसमें मराठा जीते। जीत के बाद मराठाओं ने फिर से मंदिर का निर्माण कराया। 1935 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 13.37 एकड़ की भूमि बनारस के राजा कृष्ण दास को आवंटित कर दी। 1951 में श्री कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट ने ये भूमि अधिग्रहीत कर ली।
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