बदला दृष्टिकोण: पसमांदा समाज में पैठ रखने वाली पीस पार्टी अब एनडीए से हाथ मिलाने को इच्छुक

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Changed approach: Peace Party, which has penetrated into Pasmanda society, is now willing to join hands with NDA.
भाजपा भी पसमांदा मुस्लिम को अपने पक्ष करने के लिए रणनीति बना रही हैं।

लखनऊ। मुस्लिम समाज की रहनुमाई करने वाला दल पीस पार्टी अब समझ चुकी है, कि मुस्लमानों के साथ कांग्रेस, सपा और बसपा ने केवल अब तक वोटबैंक की राजनीति कर रही है,इसलिए अब वह एनडीए में जाने की इच्छा जता रहे है। उनका कहना है कि मुस्लिम अब जागरूक हो गया, उसे अब पता है ​कि कौन सा दल उनके लिए सच्चे मन से काम कर रहा है,इसलिए अब उनका भाजपा विरोध कम होने लगा है, हाल में दिए एक बयान में उन्होंने कहा था कि मौका मिला तो वह एनडीए में जाने से परहेज नहीं करेंगे।

अपने उदय काल से लेकर अब तक पीस पार्टी को भाजपा विरोधी के रूप में ही जाना जाता है, लेकिन उनकी सोच अब बदल चुकी है, वह अब अपनी पार्टी के हित के लिए एनडीए में ही जाना चाहते हैं। बता दे कि पीास पार्टी की पसमांदा मुस्लिम में मजबूत पकड़ मानी जाती हैं, भाजपा भी पसमांदा मुस्लिम को अपने पक्ष करने के लिए रणनीति बना रही हैं। अब अपने वोटबैंक के छिटकने का डर है या कुछ और कि पीस पार्टी के अध्यक्ष डॉ. मोहम्मद अयूब का भाजपा के प्रति नजरिया बदल गया है।

2012 में जीती थी चार सीटें

डॉ. अयूब ने पार्टी के गठन के बाद 2012 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में चार सीटों पर जीत दर्ज करके मुस्लिम समाज पर अपनी पकड़ का एहसास भी कराया था, लेकिन गठबंधन के दौर में भी किसी बड़े दल का साथ न मिलने की वजह से पीस पार्टी एक तरह से अलग-थलग पड़ गई है। एक मीडिया संस्थान से हुई बातचीत में डॉ.अयूब का कहना है कि मुस्लिम समाज सिर्फ वोटबैंक बन कर नहीं रहना चाहता है।

वे कहते हैं कि अब तक यह समाज सिर्फ धर्मनिरपेक्षता के नाम पर भाजपा को हराने के लिए वोट करता था, लेकिन अब यह समझ में आने लगा है कि यह विचारधारा समाज को नुकसान पहुंचा रहा है। इसलिए अब मुस्लिम समाज ने तय किया है कि अब जो दल हमें हिस्सेदारी देगा, उसके साथ रहेंगे। उन्होंने कहा हमारी अब किसी दल से दुश्मनी नहीं है। जो हमें भागीदारी देगा, हम भी उसका साथ देंगे। चाहे वह एनडीए ही क्यों न हो।

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