बिजनेस डेस्क। देश में सबसे तेज़ी से वृद्धि दर्ज करती म्यूचुअल फंड कंपनियों में से एक, एक्सिस म्यूचुअल फंड ने भारतीय निवेशकों के बीच ‘जोखिम की समझ’ (रिस्क कॉम्प्रिहेंशन) का पता लगाने के लिए एक निवेशक सर्वेक्षण (इन्वेस्टर सर्वे) किया। सर्वेक्षण में एक्सिस एमएफ के देश भर के 1700 से अधिक निवेशकों ने भाग लिया। इस सर्वेक्षण का उद्देश्य था, म्यूचुअल फंड में निवेश से जुड़े जोखिम के बारे में निवेशकों के दृष्टिकोण और समझ के बारे में जानकारी प्राप्त करना। एक्सिस एएमसी के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी, बी. गोपकुमार ने सर्वेक्षण से निकले निष्कर्ष पर अपनी टिप्पणी में कहा, “म्यूचुअल फंड उद्योग, आज एक दिलचस्प मोड़ पर है, जो इस श्रेणी में निवेशकों की बढ़ती तादाद से स्पष्ट है।
समझकर निवेश का फैसला
हम एक उद्योग के रूप में आगे बढ़ रहे हैं, लेकिन निवेशकों को समझ-बूझकर निवेश का फैसला करने के काबिल बनाना भी हमारी ज़िम्मेदारी है। इसलिए, यह सर्वेक्षण निवेशकों में जोखिम की समझ और म्यूचुअल फंड निवेश से जुड़े जोखिमों का आकलन करने के लिए उनके पास उपलब्ध तरीकों के बारे में जागरूकता के बारे में पता लगाने के लिए किया गया था। एक्सिस म्यूचुअल फंड में, हम ज़िम्मेदार निवेश भागीदार के रूप में अपनी भूमिका को महत्वपूर्ण मानते हैं, जिससे न केवल निवेशकों को उनकी निवेश यात्रा में मदद मिलती है, बल्कि उन्हें अपने म्यूचुअल फंड निवेश के विभिन्न पहलुओं को समझने में भी मदद मिलती है, ताकि वे सोच-समझकर निर्णय लेने और अपने वित्तीय लक्ष्यों पूरा करने के लिए अच्छी तरह से तैयार हों।” सर्वेक्षण के निष्कर्षों से कई दिलचस्प पैटर्न सामने आए।
दीर्घकालिक निवेश के महत्व
नियामकों, फंड हाउसों और वितरकों द्वारा जागरूकता अभियान से उत्साहित होकर, निवेशकों ने अपनी मेहनत की कमाई को संभावित रूप से बढ़ाने के लिए निवेश करने के महत्व को पहचाना है, और निवेश के तरीकों में म्यूचुअल फंड को ज़्यादा तवज्जोह दी जा रही है। हालांकि, 59 प्रतिशत निवेशक अब भी पिछले प्रदर्शन को म्यूचुअल फंड में निवेश के लिए प्रमुख बेंचमार्क में से एक मानते हैं। कई बार, बाज़ार में चल रही अफवाह से प्रभावित होकर, निवेशक अपने निवेश को भुनाने की कोशिश करते हैं, भले ही वे दीर्घकालिक निवेश के महत्व और पावर ऑफ कंपाउंडिंग से अवगत हों। एएमएफआई के आंकड़ों के अनुसार, 22.2 प्रतिशत इक्विटी निवेशक 12-24 महीनों के लिए निवेशित रहते हैं और कुल 48.7 प्रतिशत इक्विटी निवेशक दो साल या उससे कम समय के भीतर अपने पोर्टफोलियो को भुना लेते हैं।
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