विज्ञान का चमत्कार: सुल्तानपुर में शादी के 32 साल बाद महिला ने बच्चे को दिया जन्म

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Miracle of science: Woman gives birth to a child after 32 years of marriage in Sultanpur
41 साल की कम उम्र में मिनोपॉज हो गया था इस कारण प्राकृतिक गर्भधारण असंभव होगया था।
  • मिनोपॉज के बाद आईवीएफ से संतान को जन्म देने वाली सुल्तानपुर की पहली महिला बनी

बिजनेस डेस्क। माहवारी बंद होने (रजोनिवृत्ति) के बाद एक 49वर्षीय महिला नीता (बदला हुआ नाम) ने इंदिरा आईवीएफ के सुल्तानपुर हॉस्पिटल में इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) उपचार के माध्यम से गर्भधारण करके अपनी पहलीसंतान को जन्म दिया है। नीता की शादी को 32 साल हो गए थे और 41 साल की कम उम्र में मिनोपॉज हो गया था इस कारण प्राकृतिक गर्भधारण असंभव होगया था।

एंटी-मुलेरियन हार्मोन

इन चुनौतियों के बावजूद माँ बनने की इच्छा मन में रखकर उसने शहर में स्थित इन्दिरा आईवीएफ अस्पताल मेंएक्सपर्ट डॉ. सस्वि सिंह से सम्पर्क किया । नीता का मामला प्रायमरी निःसंतानता का है जिसमें महिला गर्भधारण करने मेंअसमर्थ होती है। उसे मेलिटस डायबिटिज, हायपर टेन्षन, टीबी या किसी बड़ी सर्जरी की हिस्ट्री नहीं थी। हालाँकि, पूर्व में प्राकृतिक रूप से गर्भधारण करने में असमर्थरही थी। जांच करने पर परिणाम में 0.02के साथ कम एंटी-मुलेरियन हार्मोन (एएमएच) का स्तर, कमजोर गर्भाशय औरअंडाशय, साथ ही एक पतली एंडोमेट्रियम के साथ रजोनिवृत्ति की स्थिति सामने आयी। केस के बारे में विस्तार से बताते हुए, इंदिरा आईवीएफ सुल्तानपुर की डॉ. सस्वि सिंह ने बताया कि, “रजोनिवृत्तिके समय, महिला के शरीर में ओव्यूलेशन और मासिक धर्म की समाप्ति और गर्भाशय में परिवर्तन सहित कई बदलाव होते हैं।

भ्रूण प्रत्यारोपण की संभावना

नीता के शरीर को गर्भधारण के लिए तैयारकरने के लिए टीम ने सबसे पहले तीन महीने तक हार्मोनल ट्रीटमेंट शुरू किया। इसके बाद उसके गर्भाशय की जांच के लिए हिस्टेरोस्कॉपी की गई। भ्रूण स्थानांतरण से पहले उसके गर्भाशय की परत या एंडोमेट्रियम को तैयार करने के लिए प्लेटलेट-रिचप्लाज्मा (पीआरपी) उपचार के दो राउण्ड किए गए, जिससे भ्रूण प्रत्यारोपण की संभावना बढ़ गई। नवंबर 2022 में एक भ्रूण ट्रांसफर किया गया, दो सप्ताह बाद बीटा-ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन(बीएचसीजी) रिपोर्ट में सफल प्रेगनेंसी परिणाम सामने आया।

निःसंतान दम्पती के लिए  एक किरण

बिना किसी समस्या के सफल गर्भावस्था के बाद नीता अब एक महीने के स्वस्थ संतान की मां है। डॉ. सिंह ने बताया कि, “हार्मोनल परिवर्तनों के कारण रजोनिवृत्ति के बाद प्राकृतिक गर्भधारण संभव नहीं हो पाता है, ऐसे केसेज में मातृत्व सुख प्राप्त करनेके लिए आईवीएफ एक उचित और सफल समाधान है। नीता का केस सुल्तानपुर में पहला ऐसा केस है जिसमें किसी महिला ने रजोनिवृत्ति के बाद गर्भधारण किया है। इस निःसंतान दम्पती की सफलता निःसंतान दम्पतियों कोअ त्याधुनिक प्रजनन उपचार प्रदान करने की हमारी टीम की प्रतिबद्धता का प्रमाण है। यह के ससुल्तानपुर में मील का पत्थर साबित होगा, जो माता-पिता बनने की इच्छा रखनेवालों के लिए आशा की किरण का प्रतीक है।

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