नाक की लड़ाई बना घोसी का उपचुनाव, दारा सिंह को टक्कर देने सुधाकर सिंह को सपा ने मैदान में उतारा

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Ghosi's by-election became a battle of the nose, SP fielded Sudhakar Singh to fight against Dara Singh
दोनों दलों के लिए यह चुनाव लोकसभा की जंग के लिए भी अपने-अपने समीकरणों के आंकलन का अवसर देगा।

लखनऊ। साइकिल की सवारी छोड़कर भगवा चोला ओढ़ने वाले दारा सिंह चौहान इस बार फिर भगवा दल से चुनावी मैदान में हैं, उनके सामने सपा ने सुधाकर सिंह को मैदान में उतारा है। दोनों अपने क्षेत्र में दमदार चेहरे में रूप में पहचाने जाते है। दोनों ही नेता दो-दो बार विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं। दोनों दलों के लिए यह चुनाव लोकसभा की जंग के लिए भी अपने-अपने समीकरणों के आंकलन का अवसर देगा।

घोसी सीट मुस्लिम और पिछड़ा बहुल हैं यहां परर ज्यादातर सामान्य और पिछड़ा वर्ग के नेताओं का ही कब्जा रहा है। दलित और मुस्लिम समुदाय से भी एक-एक बार यहां विधायक जीते हैं। जातिगत लिहाज से देखें तो इस विधानसभा क्षेत्र में मुसलमानों के साथ ही पिछड़े वर्ग के नोनिया चौहान, राजभर, बिंद, कश्यप और निषाद जाति के मतदाताओं की संख्या अच्छी खासी है। पिछड़े वर्ग के मतदाता डेढ़ लाख से अधिक हैं तो मुसलमान भी 60-70 हजार तक हैं। 60 हजार दलित और करीब 70 हजार सामान्य वर्ग के मतदाता हैं।

अहम होगा राजभर का वोट

मऊ और आसपास के जिलों में सजातीय समाज में प्रभाव रखने वाले सुभासपा के ओमप्रकाश राजभर अब भाजपा के साथ हैं। पिछले चुनाव में वह सपा के साथ थे। भाजपा के रणनीतिकारों का मानना है कि सामान्य, पिछड़ा वर्ग और मुस्लिम पसमांदा समाज की बदौलत बाजी उनके हाथ ही रहेगी। वहीं, सपा के नेताओं का मानना है कि सुधाकर सिंह के सामान्य जाति के होने के चलते इस वर्ग का वोट भी उन्हें मिलेगा।

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