मैं किसी से कभी मांगता कुछ नहीं ।
अब तुम्हारे सिवा चाहता कुछ नहीं।।
इस हकीकत से वाकिफ हुआ हूं अभी
जिंदगी से किसी को मिला कुछ नहीं ।
शरीफों की बस्ती में आ के बसा
पर शराफत से घर में बचा कुछ नहीं।
सुर्खियों में रहा उम्र भर मैं मगर
अपने लोगों को भी दे सका कुछ नहीं ।
उसकी बाहों में जा के सुकूं मिल गया
मौत से खूबसूरत दिखा कुछ नहीं ।
विष का प्याला पिया सिर्फ विश्वास पर
बच गया किस तरह मैं पता कुछ नहीं।
ये करिश्मा नहीं और क्या है भला
आग घर में लगी पर जला कुछ नहीं ।
____ ~राम नरेश ‘उज्ज्वल’
इसे भी पढ़ें..
- पति को वश में कराने तांत्रिक के पास गई महिला, उसने किया ऐसा काम किया वह सदमे में आ गई
- मोदी – योगी की सरकारों को सत्ता से बाहर करने के लिए 9-10 अगस्त को मजदूरों का महापड़ाव होगा -का0अनिल वर्मा
- व्यंग्य: टमाटर साहब की जय!