आरआर मिश्रा, बरेली। कई घटनाएं ऐसी होती हैं, जिनमें लोग सीधे तौर पर जिम्मेदार नहीं होते हैं, लेकिन वे घटना के मूल में होते हैं, अजीब बात यह है कि वे किसी की मौत के जिम्मेदार होकर भी साफ बच जाते हैं, उस पहलू पर लोग सोचते ही नहीं, मगर हम घटना पीछे जाएं, इसकी वजह तलाशें तो वे होंगे, उनकी लापरवाही मौत का कारण होगी।
जिस घटना का यहां मैं जिक्र कर रहा हूं, उसे समझने के लिए यह बताना जरूरी था, दो दिन पहले बरेली के एक दम्पति (पति-पत्नी) बच्चों के साथ कस्बा मीरगंज में गए, वहां वे एक समारोह में शामिल हुए, लौटते समय शहर के पास ओवरलोड ट्रक ने उनकी बाइक में टक्कर मार दी, ट्रक का पहिया सिर के ऊपर से गुजरने पर महिला की मौत हो गई, जबकि पति और बच्चे जख्मी हो गए, चालक ट्रक छोड़ कर भाग गया।
ट्रैफिक पुलिस की लापरवाही
मगर जिस जगह यह घटना हुई थी, वहां उस समय भारी वाहनों की नो एंट्री थी, लेकिन ड्यूटी पर तैनात ट्रैफिक पुलिस कर्मी में पैसे लेकर उस ट्रक को आने दिया, अगर पुलिस कर्मी ट्रक को नहीं आने देता तो शायद यह हादसा नहीं होता, उसके लालच ने एक पति से जीवनसंगिनी तो बच्चों से ताउम्र के लिए माँ का प्यार छीन लिया, पूरे परिवार को जिंदगी भर का गम दे दिया, लेकिन इस केस में वह पुलिस वाला पहले से ही बरी है, पुलिस हादसे के लिए सिर्फ चालक को ही जिम्मेदार ठहरा रही है, उसे ही खोज रही है, मगर चालक के साथ ही उस पुलिसकर्मी का भी उतना ही दोष है जिसने नो एंट्री में उस चालक को ट्रक ले जाने की अनुमति दी, ऐसी अनगिनत घटनाएं होती हैं, जिनके मूल में कई और भी दोषी होते हैं, लेकिन वो साफ बच जाते हैं।
हर बाजार में ऐसी घटनाएं
यह तो मात्र एक उदाहरण बताया गया, लेकिन इस तरह की घटनाएं हर शहर, हर कस्बे में हो रही है। जिम्मेदारों की लापरवाही से लोगों की जान जा रही हैं। कई बार तो लोगों को यह भी नहीं पता चलता कि हादसा किस वजह से हुआ। उनकी जिम्मेदारी का दंश तो मृतक के परिजन झेलते है, सरकार तो मुआवजा देकर निकल जाती है,लेकिन उस हादसे की जड़ तक नहीं पहुंचती।
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