बिहार में बहार: कलेक्टर के हत्यारोपी सांसद के साथ सरकार ने मृत कैदी को भी जेल से किया रिहा

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Spring in Bihar: Along with the collector's killer MP, the government also released the dead prisoner from jail
आनंद मोहन समेत 27 बंदी की रिहाई का नोटिफिकेशन जारी हुआ था लेकिन इसमें एक मृत बंदी का भी नाम शामिल हो गया।

पटना​: देश का सबसे ज्यादा चौंकाने वाला राज्य बिहार हैं, यहां सबसे ज्यादा विद्वान के साथ अपराधी भी पाए जाते है। यहां के मुख्यमंत्री के बारे में तो पूछिए मत कब किसे दोस्त बना ले और कब किससे अदावत कर ले। इन सब से अलग बिहार सरकार ने एक कलेृक्टर के हत्यारोपी पूर्व सांसद आनंद मोहन के साथ ही एक पांच माह पूर्व मृत कैदी को भी जेल से रिहा कर दिया।जिस बंदी की मौत नवंबर 2022 में हो चुकी थी, उसकी भी रिहाई का बिहार सरकार ने नोटिफिकेशन जारी कर दिया। इस बंदी नाम पतिराम राय था।

बक्सर जेल में पतिराम राय एक मर्डर केस में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहा था। उसकी उम्र 93 वर्ष हो गई थी। बीमार रहने के कारण जेल में उसका निधन हो गया। अब यह मामला चर्चा में है। विपक्ष नीतीश सरकार पर निशाना साध रही है। सोशल मीडिया पर यूजर्स ट्रोल कर रहे हैं। लोग मजे ले रहे है कि आनंद मोहन की रिहाई के चक्कर में बिहार सरकार ने हड़बड़ी कर दी। आनंद मोहन समेत 27 बंदी की रिहाई का नोटिफिकेशन जारी हुआ था लेकिन इसमें एक मृत बंदी का भी नाम शामिल हो गया।

विभाग को लिखा गया था लेटर

इस मामले में बक्सर ओपन जेल की अधीक्षक कुमार शालिनी ने बताया कि बक्सर के सिमरी निवासी पतिराम राय मर्डर केस में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे थे। उनकी उम्र तकरीबन 93 वर्ष हो गई थी। इस कारण पहले ही कारा एवं सुधार विभाग को उनकी रिहाई के लिए पत्र लिखा गया था। वह 14 वर्ष की सजा भुगत चुके थे। ऐसे में राज्य सरकार ने कैदियों की रिहाई की घोषणा की तो उसमें पति राम राय का भी नाम था। उनका पिछले वर्ष के नवंबर माह में उनका निधन हो चुका है।

तीन बंदी बक्सर ओपन जेल से रिहा

बिहार सरकार द्वारा जारी किए गए 27 बंदी में 3 बंदियों को बुधवार को बक्सर से रिहा कर दिया गया। हालांकि, एक बंदी रामाधार राम को राहत नहीं मिल पाई क्यों कि उसने 7 हजार रुपये का जुर्माना जमा नहीं करवाया। अन्य तीनों को कागजी प्रक्रिया पूरी करवाने के बाद रिहा कर दिया गया।कारा अधीक्षक कुमारी शालिनी की मानें तो बक्सर ओपन जेल में 90 साल से अधिक उम्र के आजीवन कारावास के सजावार बंदियों की संख्या 4 से 5 के बीच में है। यह सभी बंदी अपनी आखरी सांस तक जेल में सजा भुगतेंगे।

इनकी शारीरिक अवस्था ऐसी हो गई है कि दैनिक क्रिया कर्म में भी इन्हें परेशानी होती है। ना तो इन्हें आंखों से स्पष्ट दिखाई देता है और ना ही ठीक से चल पाते हैं। उन्होंने कहा कि कारा एवं सुधार विभाग से ऐसे बंदियों की रिहाई के लिए समय-समय पर अनुरोध किया जाता रहता है और वहां से आदेश मिलने के बाद राष्ट्रीय पर्व वह तथा अन्य अवसरों पर उनकी रिहाई भी होती है।

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