लखनऊ। प्रदेश के प्रतिष्ठित चिकित्सा संस्थानों में शुमार राजधानी स्थित संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) में गुरूवार को विश्व क्षय दिवस ( जो प्रतिवर्ष 24 मार्च को मनाया जाता है) को मनाने के लिए एक क्रमिक चिकित्सा शिक्षा व क्षय रोगियो को गोद लेने और उनके पोषण का कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम संस्थान के निदेशक प्रोफेसर आर.के. धीमन के कुशल नेतृत्व में माइक्रोबायोलॉजी विभाग की एडिशनल प्रोफेसर डॉक्टर रिचा मिश्रा और पल्मोनरी विभाग के अध्यक्ष डॉ. आलोक नाथ के द्वारा आयोजित किया गया।
क्षय रोग के समूल खात्मे पर दिया गया बल
इस वर्ष की थीम है – ‘हां हम टी बी का खात्मा कर सकते है।’इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य क्षय रोग के विषय में जन जागरूकता को बढ़ाना देना और इस रोग से ग्रस्त रोगियों को गोद लेना था। संस्थान के निदेशक प्रोफेसर आर.के. धीमन ने सन 2025 तक क्षय रोग के समूल खात्मे के उद्देश्य को प्राप्त करने के महत्व पर बल दिया। कार्यक्रम में बतौर विशिष्ठ अतिथि पीजीआई चंडीगढ़ के पलमोनरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष और पूर्व संकायाध्यक्ष पद्मश्री प्रोफेसर दिगंबर बेहरा ने ‘मल्टीड्रग रेजिस्टेंट टीबी’ विषय पर अपने विचार रखे।
वहीं लोक नायक जयप्रकाश अस्पताल, नई दिल्ली के वरिष्ठ पल्मोनोलाजिस्ट डॉक्टर अश्वनी खन्ना ने इस रोग के उपचार के विषय में बताया। कार्यक्रम में राज्य क्षय रोग अधिकारी डॉक्टर शैलेंद्र भटनागर ने इस कार्यक्रम में आने वाली चुनौतियों की जानकारी दी। वहीं अन्य प्रख्यात वक्ताओं में किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय लखनऊ के पलमोनरी विभागाध्यक्ष डाक्टर सूर्यकांत व एनआईटीआरडी, नई दिल्ली के डाक्टर मनप्रीत भल्ला ने अपने विचार रखें।
बच्चों के उपचार और पोषण की होगी निगरानी
बताया गया कि अधिकांशत: क्षय रोग से पीड़ित रोगी आर्थिक रूप से कमजोर तबके से आते हैं और हाई प्रोटीन आहार जिसमें फल, हरी सब्जियां शामिल है नहीं ले सकते। ऐसे रोगियों को गोद लेने और उनको नियमित समुचित पोषक आहार देने के लिए संजय गांधी पीजीआई परिवार के सदस्यों में संस्थान के निदेशक प्रो आर के धीमन, डाक्टर रिचा, डाक्टर मोनक, डॉ अमित गोयल, डॉक्टर आशिमा, डॉ अपर्णा, डॉक्टर पारिजात, डॉक्टर अब्बास,
श्री संजय जैन, सिस्टर नीमा, नीलम, रचना और श्रीमती भावना आर्या ने अपनी—अपनी भूमिका निभाई। बताया गया कि ये सभी सुनिश्चित करेगे कि ऐसे रोगियों को उनके घर के निकटतम डीओडीएस केन्द्र पर निशुल्क दवाइयां प्राप्त हो सके। इनके द्वारा ऐसे सभी बच्चों के उपचार और पोषण की निगरानी भी की जायेगी।
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