अमानवीयता: अमरोहा में बिजली जाने पर मरीज को मरने के लिए छोड़ा,डायलिसिस न हो पाने से दम तोड़ा

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Inhumanity: Patient left to die due to power failure in Amroha, died due to lack of dialysis
डायलिसिस का इंतजार करते-करते मरीज की जान चली गई मगर डायलिसिस नहीं हो सकी।

अमरोहा। यूपी के डिप्टी सीएम बृजेश पाठक मरीजों को अच्छी सेवाएं देने के लिए दिन रात मेहनत करते है, लेकिन प्रदेश के सरकारी अस्पतालों लगातार लापरवाही का मामला सामने आ रहा है। कई बार मरीजों को समय पर इलाज नहीं मिल पाता है तो कई बार गलत इलाज से मरीजों की जान भी चली जाती है। कुछ ऐसा ही मामला अमरोहा के जिला अस्पताल में बिजली नहीं होने पर डायलिसिस के मरीज को मरने के लिए छोड़ दिया गया। डायलिसिस का इंतजार करते-करते मरीज की जान चली गई मगर डायलिसिस नहीं हो सकी।

जिला अस्पताल में पिछले दो साल से उसकी डायलिसिस हो रही थी। बुधवार की सुबह से अचानक बिजली आपूर्ति रुकने से पानी की आपूर्ति भी ठप हो गई। जिससे उसकी डायलिसिस नहीं हो सकी। दोपहर दो बजे तक बिजली आने का इंतजार करने के बाद मरीज की हालत बिगड़ गई थी।

पहले मुरादाबाद में कराते थे डायलिसिस

अमरोहा के मोहल्ला मुल्लाना निवासी मोहम्मद आमिर परचून की दुकान चलाते थे। करीब चार साल से वह किडनी रोग से पीड़ित थे। पहले वह मुरादाबाद के निजी अस्पताल में ही डायलिसिस कराते थे। जिस पर काफी खर्चा हो जाने के कारण उनके घर की आर्थिक स्थिति भी कमजोर हो गई थी। इसी बीच अमरोहा जिला अस्पताल में दस बेड की डायलिसिस यूनिट खुलने पर वह दो साल से अपनी डायलिसिस यहीं करा रहे थे। सप्ताह में दो दिन बुधवार और शनिवार को उनकी डायलिसिस होती थी। लिहाजा बुधवार को वह सुबह सात बजे अपनी पत्नी गजाला के साथ अपनी डायलिसिस कराने जिला अस्पताल पहुंचे।

रास्ते में तोड़ा दम

तकनीकी खामी के चलते सुबह छह बजे से बिजली आपूर्ति ठप थी। इसके चलते पानी की आपूर्ति भी बंद थी। अन्य मरीजों के साथ आमिर भी यूनिट में ही बैठकर बिजली आने का इंतजार करते रहे, लेकिन बिजली नहीं आई। परेशान होकर वह दोपहर दो बजे अपनी पत्नी के साथ घर लौट आए। यहां उनकी हालत बिगड़ने लगी। इसके बाद घर वाले उन्हें लेकर मुरादाबाद के लिए रवाना हो गए। मगर रास्ते में ही उनकी मौत हो गई। जिला अस्पताल की सीएमएस डा. प्रेमा पंत त्रिपाठी ने बताया कि बिजली आपूर्ति ठप होने से पानी की सप्लाई भी नहीं हो पाई थी। इसके चलते डायलिसिस की व्यवस्था भी बाधित रही।

जनरेटर की व्यवस्था नहीं

डायलिसिस यूनिट के प्रबंधक सुमित भारद्वाज का कहना है कि डायलिसिस में केवल आरओ का पानी ही इस्तेमाल होता है। जिसमें एक मरीज की डायलिसिस में 150 से 200 लीटर पानी की खपत होती है। अमरोहा जिला अस्पताल में मरीजों और उनके तीमारदारों को पेयजल उपलब्ध कराने के लिए दो पंप हाऊस व एक ओवरहेड टैंक लगा है। जिनसे डायलिसिस यूनिट से लेकर अस्पताल के सभी वार्डों में पानी की सप्लाई जाती है, यह पंप हाउस केवल बिजली आपूर्ति पर ही निर्भर है। बिजली जाने पर पंप चलाने के लिए जनरेटर की व्यवस्था नहीं है।

जनरेटर न होने से डायलिसिस यूनिट में भी पानी की सप्लाई न हो सकी और और मोहम्मद आमिर की मौत हो गई। जिला अस्पताल के डा. चरन सिंह का कहना है कि डायलिसिस यूनिट निजी कंपनी की है। उसमें पानी व बिजली की सप्लाई की जिम्मेदारी अस्पताल प्रशासन की नहीं है। यूनिट को स्वयं बिजली और पानी की व्यवस्था करनी चाहिए।

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