आस्था का पर्व: सुहागिनों का महापर्व करवाचौथ आज, चांद का बेसब्री से इंतजार

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Feast of Faith: Karvachauth, the great festival of honeymooners, eagerly waiting for the moon
शाम होते ही महिलाएं बेसब्री से चांद का दीदार करने के लिए आसमान की ओर देखती रहती हैं

जौनपुर। पति-पत्नी के रिश्ते को मजबूत बनाने वाले पर्व करवाचौथ पर आज सुबह से ही महिलाएं निर्जला वर्त के सुबह से पूजा की तैयारी कर रही है। आखिर करे भी क्यों न क्योंकि आज सुहागिनों का महापर्व करवाचौथ है। हिंदू धर्म में सुहागिन महिलाओं द्वारा रखा जाना वाला यह एक खास व्रत है। बता दें कि करवा चौथ के पर्व में सुहागिन महिलाएं सूर्योदय से लेकर शाम के चंद्रोदय होने तक व्रत रखती हैं।शाम होते ही महिलाएं बेसब्री से चांद का दीदार करने के लिए आसमान की ओर देखती रहती हैं, ताकि पति की पूजा करने के बाद चांद की पूजा करती है।

पति की लंबी उम्र की कामना

इस पर्व में महिलाएं दिनभर निराहार और निर्जला व्रत रखकर पति की लंबी आयु और सुखी जीवन की कामना करती हैं। व्रती महिलाएं सूर्योदय से पहले सरगी ग्रहण करती हैं और दिन भर उपवास रखते हुए शाम के समय करवा माता की पूजा,आरती और कथा सुनती हैं।

इसके बाद शाम को चंद्रमा के निकलने का इंतजार करती हैं और जब चांद के दर्शन होते हैं तो सभी सुहागिन महिलाएं चंद्रमा को अर्घ्य देते हुए अपने पति के हाथों से जल ग्रहण कर व्रत खोलती हैं। सभी सुहागिन महिलाएं व्रत पूरा करने के बाद अपने सास-ससुर और बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद लेते हुए करवा चौथ का पारण करती हैं।

 पूजा मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार यह त्योहार हर वर्ष कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। करवा चौथ पर दिनभर निर्जला व्रत रहते हुए भगवान शिव, माता पार्वती,स्वामी कार्तिकेय,भगवान गणेश और चंद्रदेव की पूजा होती है। करवा चौथ पर शुभ मुहूर्त में करवा माता की पूजा,आरती और कथा सुनने का विधान होता है। फिर इसके बाद चंद्रमा के दर्शन करते हुए अर्घ्य देकर व्रत पूरा करते हैं।

शुभ मुहूर्त शाम 05 बजकर 54 मिनट से 07 बजकर 03 मिनट तक
अवधि 1 घंटा 09 मिनट
करवा चौथ चंद्रोदय का समय शाम 08 बजकर 10 मिनट पर

करवा चौथ 2022 शुभ योग

करवा चौथ पर सर्वार्थसिद्ध योग बन रहा है। ज्योतिष में इस योग को बहुत ही शुभ माना जाता है। सर्वार्थसिद्धि योग से करवा चौथ की शुरुआत होगी। इसके अलावा शुक्र और बुध के एक ही राशि में यानी कन्या राशि में मौजूद होंगे। ऐसे में लक्ष्मी नारायण योग बनेगा। वहीं बुध और सूर्य के एक राशि में मौजूद होने पर बुधादित्य योग बनेगा। वहीं शनि और गुरु स्वयं की राशि में मौजूद रहेंगे। इस तरह के शुभ योग में पूजा करना बहुत ही शुभ लाभकारी रहता है।

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