जंगल का चीरहरण रोक देना द्रोपदी !

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Draupadi to stop the raging of the forest!
जो जंगल पर ही नहीं दुनियां के सबसे बड़े लोकतंत्र पर राज्य कर सकती हैं।

नवेद शिकोह-लखनऊ। जंगल सबसे ज्यादा ख़ुश हैं। पशु-पक्षी और आदिवासी सब नाच रहे हैं। चिड़ियां,पेड़-पौधे, हरियाली, झाड़ियां सब जश्न मना रहे हैं। पहाड़, झरने, नदियां, तालाब.. सब उत्साहित हैं। टहनियां, शाख़ें बल खा रही हैं, हिरण इतरा रहे हैं,बादल गरज रहे हैं, चिड़ियां चहक रही हैं। हवाओं में आज कुछ ज्यादा ही सौंधी-सौंधी महक है।
मौसम भी सावन का है, कोयल गीत गा रही है। हर तरह खुशियों और उल्लास की बारिश हो रही है। वृक्ष झूम रहे हैं, बंदर उछल रहे हैं, हाथी सूंड उठाए हैं। भालू नृत्य कर रहे हैं। चिड़ियां कोलाहल मचाएं हैं। फूल मुस्कुरा रहे हैं, तितलियां मंडरा रही हैं।

पर्यावरण में आज अजब सा आत्मविश्वास नज़र आ रहा है।

पेड़ आपस में बात कर रहे हैं – हमारे पास क्या नहीं है। प्रकृति की नेमते-सौग़ाते महफूज़ रहें तो देश-दुनियां की उन्नति, प्रगति, समृद्धि , तन्दुरूस्ती और विकास की राह को कोई नहीं रोक सकता। जंगलों के दामन में सबकुछ है। बस इसे महफूज़ रखने की जरूरत है। सिर्फ शेर ही नहीं जंगलों का राजा होता। जंगल की गोद में पलने वाली आदिवासी महिलाएं भी शेरनियों जैसे हौसले रखती हैं। जो जंगल पर ही नहीं दुनियां के सबसे बड़े लोकतंत्र पर राज्य कर सकती हैं।

एक बूढ़ा वृक्ष बोला- आज का दिन बहुत मुबारक है। आशा करता हूं अब जंगल नहीं कटेंगे। जंगल की हरियाली, जीव-जंतु सलामत रहेगें। इसी में ही मानव जाति का और देश-दुनिया का भी भला है। बूढ़ा वृक्ष आगे बोला- द्रोपदी से ज्यादा चीरहरण का दर्द कौन जानेगा। जंगलों का चीरहरण रोकने के लिए हमारी द्रोपदी को कुछ करना होगा !

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