20 जुलाई 2022, लखनऊ। क्रांतिकारी सांस्कृतिक मंच(कसम) के महासचिव तुहिन व अध्यक्ष प्रवीण नाडकर ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर फिल्मी निर्देशक अविनाश दास की गिरफ्तारी की कड़ी निंदा करते हुए उन्हें रिहा करने की मांग किया।
उन्होंने कहा कि गुजरात पुलिस द्वारा लोकप्रिय फिल्म निर्देशक अविनाश दास की कैद इस बात का संकेत है कि हमारा देश संघी मनुवादी हिंदुत्व फासीवाद द्वारा थोपे गए सबसे काले दिनों की ओर बढ़ रहा है। हमारे देश में घोर जन विरोधी कॉरपोरेट परस्त फासीवादी तानाशाही शासन के सूत्रधारों में से एक गृह मंत्री अमित शाह पर व्यंग कसने के आरोप में (गुजरात पुलिस के अनुसार उनकी छवि धूमिल करने) अविनाश दास के खिलाफ कार्रवाई, हमारे देश के लोकतांत्रिक ताने-बाने पर एक गंभीर हमला है।
अविनाश दास देश के हर कोने में संघी फासीवादी दमन के खिलाफ हमारी लोकतांत्रिक चेतना के एक बड़े प्रहरी हैं। वे,क्रांतिकारी सांस्कृतिक मंच (कसम) द्वारा मुंबई व पुणे में असहिष्णुता ,नफरत और विभाजन की संस्कृति के खिलाफ आयोजित सेमिनारों में खुलकर हिंदी हिंदू हिन्दुस्थान की संघी मनुवादी फासिस्ट विचारों पर हमला किया था।उन्होंने भारत के बहुलतावाद, साझी शहादत साझि विरासत और विविधता की संस्कृति को आधार बनाकर जनता के दुश्मन कॉरपोरेट घरानों के दलाल संघी मनुवादी फासिस्ट ताकतों के खिलाफ साझा सांस्कृतिक प्रतिरोध अभियान चलाने पर जोर दिया था।पहले तीस्ता सीतलवाड़,आर बी श्री कुमार,फिर पत्रकार जुबेर,फिर गांधीवादी कार्यकर्ता हिमांशु कुमार,फिर झारखंड के पत्रकार रूपेश कुमार सिंह और अब अविनाश दास ये अंतहीन सिलसिला जारी है। बकौल कवि रंजीत वर्मा “बचेंगे वे भी नहीं जो चुप हैं”।
हम फिल्म निर्देशक अविनाश दास और अन्य बंदी बुद्धिजीवी साथियों की तत्काल रिहाई की मांग करते हैं। हम प्रत्येक लोकतांत्रिक सोच वाले और शांतिप्रिय लोगों से फासीवाद के खिलाफ सांस्कृतिक जागरूकता बढ़ाने का आग्रह करते हैं । हमें कॉरपोरेट घरानों के दलाल संघी फासीवाद के खिलाफ अपनी आवाज को लाखों आवाजों में बदलने के लिए तैयार रहना चाहिए, जो सोचते हैं कि वे सामाजिक कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों को कैद करके देश की आवाज को दबा सकते हैं।