कामरेड सीबी सिंह सबके प्रिय और जरूरी थे: जसम

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Com CB Singh was loved and needed by all: Jasam
जनता के पक्ष में चलने वाले आंदोलनों में उनकी भागीदारी रही है।

लखनऊ। कामरेड सीबी सिंह नहीं रहे। उनका निधन मऊ में हुआ। वे मूलतः बलिया के रहने वाले थे। 1970 के दशक में वे लखनऊ आए और यही उनकी कर्मभूमि बन गई। प्रगतिशील, जनवादी और क्रांतिकारी संगठनों के साथ उनका सक्रिय जुड़ाव था। जन आंदोलनों के केंद्रक के बतौर उनकी भूमिका रही। जनता के पक्ष में चलने वाले आंदोलनों में उनकी भागीदारी रही है।

सीबी सिंह नक्सलबाड़ी किसान आंदोलन से प्रेरित थे। इसने सामाजिक बदलाव और क्रांति की उर्जा से उन्हें दीप्त किया। आगे अपने संपूर्ण जीवन को इसी दिशा में उन्होंने समर्पित कर दिया। बुर्जुआ राजनीत ने उन्हें कभी आकर्षित नहीं किया। इमरजेंसी के दौरान उनसे हम जैसे साथियों का संपर्क हुआ। उस वक्त वे छात्र युवा क्रांतिकारी मोर्चा जैसे संगठन के मुख्य कर्ताधर्ता थे। जेपी आंदोलन को उत्तर प्रदेश में फैलाने, बढ़ाने में उनकी अग्रणी भूमिका थी। छात्र युवा नेता के रूप में उनकी पहचान थी।

प्रगतिशील अध्ययन केंद्र की

इमरजेंसी के बाद लखनऊ में हम साथियों की पहल पर आलमबाग में प्रगतिशील अध्ययन केंद्र की स्थापना की गई थी। इसके पीछे सीबी सिंह जैसे साथियों की प्रेरणा थी। उसकी ओर से लखनऊ के विभिन्न जगहों पर नियमित संगोष्ठी के कार्यक्रम संचालित किए गए। इनमें सक्रिय रूप से भाग लेने वालों में सीबीसिंह हुआ करते थे।

ये गोष्ठियां वाम आंदोलन के अन्दर की तीखी बहसों का केंद्र हुआ करती थीं। इनमें शंकर दयाल तिवारी, पीके टंडन, रामसनेही यादव, राम आसरे वर्मा, बाबू राम बोरकर आदि शामिल होने वालों में प्रमुख थे। सीबी सिंह का जन आंदोलनों के साथ जुड़ाव कभी कम नहीं हुआ बल्कि समय के साथ वह और बढ़ता गया ।

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कॉमेडी सीबी सिंह का कार्यालय हजरतगंज में कॉफी हाउस के ऊपर 18 जहांगीराबाद मेंशन में है। उन्होंने इसे वास्तव में जन आंदोलन की गतिविधियों का कार्यालय तथा साथियों के मिलने जुलने के केन्द्र में बदल दिया था। जब उत्तर प्रदेश में पीएसी विद्रोह हुआ,उस अभियान को सी बी सिंह से गति मिली। जहांगीराबाद मेंशन कार्यालय लखनऊ के महिला संगठन, साहित्यिक सांस्कृतिक संगठन, सामाजिक राजनीतिक संगठन का भी कार्यालय बन गया और आज भी तमाम ऐसी संस्थाओं का वह केंद्र स्थल है।

नवचेतना सांस्कृतिक संगठन का गठन

1980 के दशक में जब लखनऊ में नवचेतना सांस्कृतिक संगठन का गठन हुआ, सीबी सिंह का कार्यालय संगठन की बैठकों, गोष्ठियों तथा नाटकों के रिहर्सल का केंद्र बना। इन सब में उनकी दिलचस्पी हुआ करती थी। उनकी राय सबके लिए बहुमूल्य होते थे। ‘जनता पागल हो गयी है’, ‘इंकलाब जिंदाबाद’ जैसे नुक्कड़ नाटकों का रिहर्सल यहीं हुआ जो उन दिनों के चर्चित कार्यक्रम थे।

पिछले दिनों जन संस्कृति मंच की ओर से कई कार्यक्रम जहांगीराबाद मिशन में आयोजित किए गए जिनमें कामरेड सीबी सिंह की सक्रिय उपस्थिति थी। अनिल सिन्हा की स्मृति तथा ‘वह औरत नहीं महानदी थी’कविता संग्रह पर संगोष्ठी आदि ऐसे ही आयोजन थे। उनका कहना था कि जनता के पक्ष में लिखे जा रहे साहित्य को जनता तक कैसे पहुंचाया जाए, यह हमारी चिंता में हो। आज भी तमाम जनवादी और प्रगतिशील संगठनों का वे स्वयं केंद्र थे और जहांगीराबाद मेंशन को इसका केंद्र बना रखा था।

विनम्र श्रद्धांजलि, सादर नमन और लाल सलाम

ऑल इंडिया वर्कर्स कौंसिल, नागरिक परिषद आदि से उनका रिश्ता था। उनके लिए यह कहना ज्यादा सही है कि वे किसी एक संस्था या संगठन के ना होकर प्रगतिशील, जनवादी जन आंदोलन के साथी रहे हैं और इसीलिए वे सबके प्रिय व जरूरी थे। आज जब फासीवादी हमले जन आंदोलनों पर बढ़े हैं, उनका ना होना एक बड़ी क्षति है। गौरतलब है कामरेड सीबी सिंह जैसे साथी आसानी से तैयार नहीं होते। आंदोलनों की आंच में पक कर निखरते और चमकते हैं। उनका ना होने को भर पाना आसान नहीं होगा। कामरेड सीबी सिंह को जन संस्कृति मंच उत्तर प्रदेश की ओर से विनम्र श्रद्धांजलि, सादर नमन और लाल सलाम।

कौशल किशोर
कार्यकारी अध्यक्ष
जन संस्कृति मंच, उत्तर प्रदेश

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