लखनऊ। यूपी विधानसभा चुनाव-2017 के मुकाबले यूपी मिशन-2022 सपा को काफी मुफीद नजर आ रहा है। भाजपा के खिलाफ अंडरकरेंट की हो रही चर्चा से सपा काफी गदगद नजर आ रही है। लेकिन खुद की लचर रणनीति के कारण अब सपा को भी मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है।
बताया जा रहा है कि चुनाव के हर चरण में कहीं न कहीं से टिकट लौटाए जाने की घटना सामने आ रही है। बताया गया कि कई सीटों पर तो 24 घंटे के अंदर ही टिकट बदले गए हैं। इससे जहां एक ओर पार्टी से जुड़े नेताओं में आक्रोश बढ़ा है तो वहीं दूसरी तरफ कार्यकर्ताओं को भी जलालत झेलनी पड़ रही है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सपा में टिकट के लिए एक सीट पर 50 से 60 लोगों ने आवेदन किया है। ऐसे में एक व्यक्ति को टिकट मिलने पर दूसरे का विरोध स्वाभाविक है। वहीं टिकट मिलने के बाद संबंधित उम्मीदवार द्वारा उसे वापस किया जाना गंभीर बात है। बताया गया कि ऐसे में शीर्ष नेतृत्व और टिकटार्थी के बीच संवाद करने वाले नेताओं की भूमिका पर भी सवाल उठने लगे हैं।
यूं हो रही किरकरी
जानकारी के मुताबिक लखनऊ की मलिहाबाद सीट से उम्मीदवार घोषित पूर्व सांसद सुशीला सरोज ने यह कहकर शीर्ष नेतृत्व की किरकिरी कराई कि उन्होंने संबंधित सीट से दावेदारी नहीं की थी। इसके बाद पूर्व सांसद को निवर्तमान विधायक अंबरीश पुष्कर का टिकट काटकर मोहनलालगंज से उतारा गया।
इसी क्रम में मंटेरा से उम्मीदवार घोषित मो. रमजान ने टिकट लौटाकर कांग्रेस के टिकट पर श्रावस्ती से मैदान में उतर गए हैं। भदोही के ज्ञानपुर से डॉ. विनोद कुमार बिंद को उम्मीदवार बनाया गया। उन्होंने भी चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है। वह मिर्जापुर के मझवां से टिकट मांग रहे हैं।
प्रयागराज पश्चिम में पहले अमरनाथ मौर्य और फिर ऋचा सिंह को टिकट दिया गया। तीसरी बार एक पत्र जारी कर कहा गया कि पार्टी के अधिकृत उम्मीदवार अमरनाथ मौर्य हैं, लेकिन जिला निर्वाचन अधिकारी ने फार्म ए व बी के आधार पर सपा का अधिकृत उम्मीदवार ऋचा को मान लिया है।
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