अयोध्या- मनोज यादव। भगवान श्रीराम की नगरी अयोध्या में जन्मभूमि परिसर में रामलला के मंदिर का निर्माण कार्य का वैदिक रीति रिवाज से पूजन कर शुरू कर दिया गया और प्लिंथ बनना शुरू हो चुका है। इसी के साथ इस मंदिर की भव्यता, सुरक्षा और मजबूती को लेकर लोगों की जिज्ञासा जागने लगी है।
मालूम हो कि अभी इसी महिने की 6 तारीख को भूंकप के झटके अयोध्या में महसूस किए गए थे। ऐसे में सभी के मन में सबसे बड़ा प्रश्न यह है अगर आगे भी अयोध्य में भूकंंप के वैसे झटके आए तो क्या उसको लेकर Ayodhya Temple निर्माण में पर्याप्त सावधानियां बरती जा रही हैं। इस प्रश्न को लेकर हमने राममंदिर निर्माण कार्य से जुड़े विशेषज्ञों से चर्चा की तो हमें जानकारी मिली कि श्री राम मंदिर निर्माण कार्य में सबसे अधिक ध्यान भूकंप रोधी मंदिर बनाने पर ही दिया गया है।
रिसर्च के बाद हो रहा निर्माण
Ayodhya Temple मॉडल बनाने वाले सोमपुरा परिवार के आशीष सोमपुरा का कहना है कि ऐसे राम मंदिर का निर्माण किया जा रहा है कि ढाई हजार वर्षों तक भूकंप के झटके आते रहे तो भी राम मंदिर पर किसी तरीके की कोई आंच नहीं आएगी, मंदिर भूकंप रोधी प्राचीन पद्धति के अनुसार बनाया जा रहा है। आशीष सोमपुरा का कहना है की सीबीआरआई रुड़की के वैज्ञानिकों ने और चेन्नई के वैज्ञानिकों ने राम मंदिर के भूकंप रोधी होने पर विशेष रिसर्च किया है।
6 जनवरी को आए भूकंप के बाद स्ट्रक्चर को एक बार फिर से एनालिसिस किया गया और सीबीआरआई रुड़की व चेन्नई के वैज्ञानिकों ने राम मंदिर निर्माण के इस स्ट्रक्चर को एक बार फिर से सेफ स्ट्रक्चर करार दिया है। इससे साफ है कि हाई रिएक्टर स्केल पर आए भूकंप के झटके भी राम मंदिर सहन कर सकता है। राम मंदिर निर्माण में हजारों साल से चली आ रही विधि का प्रयोग किया जा रहा है। शिल्प शास्त्र के अनुसार ही राम मंदिर का निर्माण किया जा रहा है, इसमें कॉलम व बीम पर विशेष ध्यान दिया गया है।
भूकंप के सुरक्षित जोन में आता है अयोध्या
जब हमने राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के ट्रस्टी डॉ अनिल मिश्र से इस बारे में बात की तो उन्होंने कहा कि अAyodhya Temple भूकंप को लेकर सबसे सुरक्षित सिटी के रूप में जानी जाती है। जब भी यहां भूकंप के झटके आए हैं तो कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ है। राम मंदिर की डिजाइन भी इस तरीके से तैयार की गई है कि भूकंप के बड़े से बड़े झटके आए, पर राम मंदिर पर कोई फर्क ना पड़े। इसके लिए ट्रस्ट ने देश की मानी जानी संस्थानों से सहयोग लिया है, सीबीआरआई रुड़की वा चेन्नई के वैज्ञानिकों ने इसका स्टेबिलिटी टेस्ट भी किया है और इस पूरी बिल्डिंग को सेफ स्ट्रक्चर की श्रेणी में रखा गया है. अयोध्या में बन रहा मंदिर हर विपरीत परिस्थिति में 1000 वर्ष तक सुरक्षित रहे इसका विशेष ध्यान रखा गया है।
डॉ .राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय में भूगर्भ वैज्ञानिक डॉक्टर शशीकांत शाह का कहना है कि Ayodhya Temple भूकंप जोन में सबसे सुरक्षित मानी जाती है, क्योंकि अयोध्या भूकंपीय जोन 2-3 में आती है, सबसे खतरनाक भूकंप जोन 4-5 माना जाता है। अयोध्या में बड़े भूकंप के आने की संभावनाएं बहुत कम हैं, लेकिन इतना जरूर है कि भूकंप के छोटे-छोटे झटके जरूर महसूस किए जा सकते हैं
भूकंप का उतना खतरा नहीं है
भूगर्भ वैज्ञानिक डॉ शाह का भी कहना है की हिमालय के नॉर्थ ईस्ट की तरफ में ज्यादा झटके महसूस किए जा सकते हैं, यहां पर भूकंप का उतना खतरा नहीं है, इस बार भी भूकंप केंद्र अयोध्या से 176 किलोमीटर दूर नॉर्थ ईस्ट मेंं ही था।मंदिर निर्माण से जुड़ी बेहद महत्वपूर्ण जानकारी खुद राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट Ayodhya Temple के महामंत्री चम्पत राय यूपी हिन्दी न्यूज डॉट इन से पहले ही शेयर कर चुके हैंं चम्पत राय ने बताया था कि भारत में इंजीनियरिंग की जितनी अच्छी से अच्छी संस्थाएं हो सकती थीं, उनके परामर्श से भगवान राम के भव्य मंदिर का निर्माण कार्य चल रहा है. जिन लोगों ने मंदिर की मजबूती के विषयों पर गौर किया वे कोई सामान्य समझ वाले लोग नहीं हैं।
प्रसिद्ध वैज्ञानिक दे रहे है सलाह
आईआईटी दिल्ली के रिटायर्ड डायरेक्टर, आईआईटी दिल्ली के रिटायर्ड प्रोफेसर, आईआईटी गुवाहाटी के वर्तमान डायरेक्टर, आईआईटी चेन्नई, आईआईटी मुंबई, आईआईटी कानपुर के प्रोफ़ेसर, रुड़की भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई) के डायरेक्टर, एनआईटी सूरत के डायरेक्टर जैसे पदों पर बैठै लोग हैं। इस कार्य में हैदराबाद का एक अनुसंधान संस्थान भूगर्भ अनुसंधान संस्थान भी जुड़ गया है। लार्सन टूब्रो-टाटा जैसी संस्थाओं के इंजीनियर और विशेषज्ञों के सामूहिक प्रयास और चिंतन के परिणामस्वरूप Ayodhya Templeका प्लेटफार्म तैयार हो पा रहा है. भगवान राम का पूरा मंदिर पत्थरों से बनाया जाएगा. इसमें सीमेंट, लोहा आदि पदार्थों का प्रयोग लगभग शून्य होगा. इस सुपरहिट स्ट्रक्चर को हम एक हजार साल का ध्यान में रखकर बना रहे हैं
2.5% सीमेंट का हो रहा प्रयोग
चम्पत राय Ayodhya Temple का काम देख रहे इंजीनियर्स ने एक विशेष प्रकार का मिक्सचर तैयार किया, इसमें पत्थर की गिट्टी हैं, पर ज्यादा मोटी नहीं हैं, इस मिश्रण के अंदर बालू भी नहीं है, बल्कि पत्थरों का पाउडर (स्टोन डस्ट) है, सीमेंट की मात्रा इसमें बहुत कम है। अगर परसेंटेज के हिसाब से बोलें तो उसमें 2.5% सीमेंट है। इन सब को मिक्स करने पानी भी उतना ही डाला गया जितने में लुगदी तैयार हो जाए। आटा गूंथते वक्त आटे में जितना पानी डाला जाता कि आटे में वह पानी बहता नहीं है बल्कि आटा उसे सोख लेता है, इतना ही पानी इसमें डाला गया. इसको कांपेक्ट बनाए रखने के लिए कुछ रसायन और फ्लाय ऐश भी इसमें मिलाया गया है।
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