लखनऊ। सूबे के सबसे बड़े सियासी कुनबे में पड़ी दरार के बीच चाचा-भतीजे में 6 सालों से बनी दूरियां आज एकाएक नजदीकियों में तब्दील हो गई। समर्थकों के पास जब यह खबर पहुंचने लगी तो भारी संख्या में समर्थक सपा मुख्यालय व शिवपाल के घर के बाहर एकजुट होने लगे।
देखते ही देखते यहां समर्थकों भारी जमावड़ा लग गया और जोश से भरे अखिलेश समर्थक व शिवपाल समर्थक जमकर नारेबाजी करने लगे। दरअसल मिल रही जानकारियों के मुताबिक शिवपाल सिंह यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी और समाजवादी पार्टी का गठबंधन होगा।
बताया गया कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने गुरुवार को लखनऊ में शिवपाल सिंह यादव के घर जाकर मुलाकात की और गठबंधन का ऐलान किया। दरअसल अखिलेश ने ट्वीट कर कहा कि प्रसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव से मुलाकात हुई और गठबंधन की बात तय हुई है।
उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय दलों को साथ लेने की नीति सपा को निरंतर मजबूत कर रही है और सपा और अन्य सहयोगियों को ऐतिहासिक जीत की ओर ले जा रही है। इधर शिवपाल सिंह यादव ने कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर कहा कि सपा से गठबंधन का निर्णय लिया गया है। वहीं अभी शिवपाल को सपा कितने टिकट देगी यह तय नहीं हो पाया है।
चर्चा है कि शिवपाल समर्थकों को 15 टिकट दिए जा सकते हैं। गौरतलब है कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव इन दिनों प्रदेश के अलग-अलग जिलों में विजय रथ यात्रा निकाल रहे हैं। बुधवार को जौनपुर में उन्होंने कहा कि भाजपा की सरकार ने साढ़े चार साल के कार्यकाल में जनता को धोखा दिया है।
सरकार के दावे और विज्ञापन झूठे हैं। सूचना मिल रही है कि तीन माह में डीजल और पेट्रोल कंपनियों को 600 गुना फायदा पहुंचा है। जनपद दौरे के दूसरे दिन पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि जनता परेशान है। सरकार से पूछना चाहते हैं कि आखिर जनता का पैसा निकालकर अमीरों की जेब क्यों भरी जा रही है।
सरकार संविधान की धज्जियां उड़ा रही है। इस सरकार के शासन में सरकारी संपत्तियों और संस्थाओं तक को बेचा जा रहा है। अखिलेश यादव ने कहा कि जैसे-जैसे भाजपा को हार नजदीक दिखाई देगी, वैसे-वैसे उनके बड़े नेता दिखाई देने लगेंगे। उन्होंने दावा किया कि जनता बदलाव चाहती है।
यही कारण है कि समाजवादी विजय रथ यात्रा को जनता का अपार समर्थन मिल रहा है। अखिलेश ने कहा कि उम्मीद है कि आने वाले समय में परिवर्तन होगा और खुशहाली आएगी। उन्होंने लखीमपुर खीरी की घटना का जिक्र करते हुए भी मोदी व योगी सरकार पर हमला बोला।
दूरियां मिटने में लगे कई साल
बताते चलें कि 2017 चुनाव से पहले सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और शिवपाल के बीच मनमुटाव हो गया था। इसके बाद दोनों में दूरियां बढ़ती चली गईं। अब करीब 5 साल बाद फिर से शिवपाल यादव और अखिलेश यादव के बीच मुलाकात उनके घर पर हुई है। ऐसा माना जा रहा है कि भतीजे के संग चाचा के आने से सपा को फायदा मिलेगा।
60 से 70 सीटों पर शिवपाल का असर
बताया जा रहा है कि शिवपाल यादव पश्चिम, अवध और बुंदेलखंड के करीब 10 जिलों की 60 से 70 सीटों पर असर रखते हैं। इसके पीछे की वजह बताई जा रही है कि उनका अभी भी सहकारी समितियों पर कब्जा है। इसके साथ ही वह अपने कोर वोट बैंक यादव को भी सहेज कर चल रहे हैं।
बताया जाता है कि उनकी पकड़ यूपी के 9 फीसदी यादव वोट बैंक पर है। वहीं चुनावी आंकड़ों के मुताबिक शिवपाल यादव मैदान में कहीं भी नहीं टिकते हैं। सपा से अलग होकर 2019 में लोकसभा चुनाव में अपनी पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के चुनाव चिह्न पर उतरे शिवपाल यादव ने यूपी की 47 लोकसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे।
खुद फिरोजाबाद से चुनाव लड़े। इस लड़ाई में रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव हार गए और भाजपा के कैंडिडेट जीत गए। वहीं लोकसभा चुनाव में शिवपाल यादव की पार्टी को सिर्फ 0.3% वोट मिले। हालांकि अधिकतर जगहों पर शिवपाल ने सपा को नुकसान पहुंचाया।
2017 में जसवंतनगर विधानसभा सीट से जीते शिवपाल यादव को 63% से ज्यादा वोट मिले थे। सपा 2017 में 311 सीट पर चुनाव लड़ी थी। तब उसे 22% वोट मिले थे। इन सबके बीच सियासी पंडित मान रहे है कि यूपी मिशन—2022 में 2017 के मुकाबले सपा की स्थित बिल्कुल जुदा है।
वह भाजपा को सीधे टक्कर देती नजर आ रही है। जनता को भी अखिलेश का खूब समर्थन मिल रहा है। ऐसे में छोटे—छोटे दलों से गठबंधन की रणनीति अखिलेश के लिए काफी कारगर साबित होती दिख रही है। वहीं अब चाचा शिवपाल का साथ मिलने से सपा को फायदा होगा।
इसे भी पढ़ें..