नई दिल्ली। देश के आम आदमी को बैंकिंग सुविधा से जोड़ने के मकसद से शुरू हुई प्रधानमंत्री जनधन योजना के खाताधारकों को झटका लगा है। SBI ने इन खाताधारकों से दो साल में करोड़ों रूपए वसूल किए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक,
प्रधानमंत्री जनधन योजना के खाताधारकों से SBI ने 2017 से 2019 तक महीने में चार से अधिक डिजिटल लेन-देन पर हर बार 17.70 रुपए शुल्क वसूलता रहा। दरअसल IIT बॉम्बे की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ कि इस दौरान बैंक ने करीब 164 करोड़ रुपए कमाए है।
रिपोर्ट के मुताबिक बैंक ने शुल्क वसूलते समय जनधन खातों से जुड़ी शर्त का उल्लंघन भी किया है। इतना ही नहीं RBI के उन मानकों को भी तोड़ा,जिनमें अकाउंट के साथ नई सेवाएं जोड़ने के लिए वसूले जाने वाले शुल्क को रीजनेबल यानी न्यायसंगत रखने की ताकीद की गई थी।
रिपोर्ट में बताया गया कि शुरुआत में जनधन खाताधारकों को माह में 4 से ज्यादा ट्रांजैक्शन की अनुमति नहीं थी। बताया गया कि नियमों में बदलाव कर SBI ने दूसरे बैंकों से उलट 4 से ज्यादा डिजिटल लेन-देन (यूपीआई और रुपे डेबिट कार्ड के जरिए) की अनुमति दी। मगर हर ट्रांजैक्शन पर 17.70 रुपए वसूले।
यानी कोई जनधन खाताधारक यूपीआई से महीने में चार ट्रांजैक्शन के बाद 15 रुपए की खरीदी भी कर रहा था तो उसके खाते से 17.70 रुपए कट रहे थे। रिपोर्ट के अनुसार बैंक ने इस तरह अप्रैल 2017 से दिसंबर 2019 के बीच 12 करोड़ जनधन खाताधारकों से करीब 164 करोड़ रुपए वसूले।
बताया गया कि यह रकम अब भी SBI के पास है। रिपोर्ट में SBI के इस तर्क को खारिज किया गया है कि यह शुल्क न्यायसंगत था, क्योंकि RBI ने बैंक के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स को ‘न्यायसंगत’ शुल्क लगाने का अधिकार दिया था।बताया गया कि RBI के 2013 के सिद्धांतों के हवाले से रिपार्ट में कहा गया है ,
कि SBI को जनधन खाताधारकों से कोई अतिरिक्त शुल्क लेने की छूट नहीं थी। इसमें स्पष्ट था कि बैंक शुल्क लगाकर अतिरिक्त सुविधाएं देता है तो वह खाता सामान्य बचत खाता माना जाएगा। इसमे अतिरिक्त ट्रांजैक्शन की छूट थी। वहीं आईआईटी बॉम्बे की रिपोर्ट में दावा है,
कि SBI ने प्रधानमंत्री की गरीब लोगों को बैंकिंग व्यवस्था से जोड़ने की योजना के लाभार्थियों के साथ भेदभाव किया। रिपोर्ट के अनुसार SBI के इस रवैये की अगस्त 2020 में वित्त मंत्रालय से शिकायत की गई थी। बताया गया कि इसके बाद केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने 30 अगस्त 2020 को बैंकों के लिए परामर्श जारी किया ,
कि 1 जनवरी 2020 से खाताधारकों से लिए गए शुल्क को वापस कर दिया जाए। वहीं भविष्य में ऐसा कोई शुल्क नहीं वसूला जाए। बताया गया कि इसके बाद SBI ने 17 फरवरी, 2021 को राशि लौटाना शुरू की,मगर अब भी 164 करोड़ रुपए खाताधारकों को लौटाए जाने बाकी हैं।
बताया गया कि सरकार ने जब यूपीआई पेमेंट्स को शुल्क मुक्त कर दिया। तब पता चला कि 1 जनवरी 2020 से 6 अप्रैल 2020 और 1 जुलाई 2020 से 14 सितंबर 2020 के बीच भी SBI में 222 करोड़ यूपीआई ट्रांजैक्शन हुए। बताया गया कि इनमें से 5.1 करोड़ ट्रांजैक्शन पर प्रति ट्रांजैक्शन 17.70 रुपए चार्ज लगा था।
इस प्रकार बैंक ने इस अवधि में 90 करोड़ रुपए से अधिक काटे।बैंक ने यह पैसा फरवरी-मार्च 2021 में लौटाया मगर इतनी राशि पर खाताधारकों को मिलने वाला करीब 2.1 करोड़ रुपए ब्याज का घाटा हुआ। इतना ही नहीं बैंक ने 90 करोड़ रुपए निवेश कर करीब 2.6 करोड़ रुपए कमाए।
रिपोर्ट में कहा गया कि इस रकम पर भी जनधन खाताधारकों का हक बनता है। रिपोर्ट के मुताबिक यह भी सच्चाई सामने आ चुकी है कि जीरो बैलेंस सुविधा होने के बावजूद जनधन खातों में मार्च 2020 के अंत तक औसत बैलेंस 2,457 रुपए अधिक ही रहा।
2014 में आरंभ हुई थी जनधन योजना
जानकारी के मुताबिक प्रधानमंत्री जनधन योजना (PMJDY) 28 अगस्त 2014 में शुरू हुई थी। बताया गया कि इस योजना के तहत गरीब और जरूरतमंद लोगों को बैंकों से जोड़ने का काम किया जाता है। योजना के अन्तर्गत हर परिवार से एक खाता खोलने का लक्ष्य रखा गया है।
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