अवनीश पांडेय – आजमगढ़। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और आजमगढ़ सांसद अखिलेश यादव के लापता होने का पोस्टर जिला कलेक्ट्रेट परिसर के दिवार पर लगाया गया है। स्थानीय लोग उन्हें मोमबत्ती जलाकर ढूंढ़ रहे हैं। पिछले 28 महिने से अखिलेश यादव अपने संसदीय क्षेत्र से दूर रहे हैं। जिसे लेकर क्षेत्रीय लोगों में नाराजगी है।
सर्वजनिक तौर पर एक बार आए..
सांसद चुने जाने के बाद अगर जिले में आगमन की बात की जाय, तो सपा सुप्रीमो अखिलेश सार्वजनिक रूप से 3 जून 2019 को जिले की जनता को धन्यवाद देने आए थे। उसके बाद जब भी जिले में आए निजी कार्यक्रम में ही शामिल होने आए।
जनता की उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे अखिलेश
अखिलेश यादव द्वारा जिले की जनता का दुख-दर्द में शामिल न होने से जनता नाराज है। लोगों का कहना है कि हम लोगों ने बड़े नेता को इसलिए चुना था कि जिले के विकास के साथ हम लोगों का दु:ख दर्द जानेंगे पर ऐसा नहीं हुआ। कोविड संक्रमण काल हो, मुबारकपुर में फैला डायरिया या जिले में भारी बारिश में डूबे मोहल्ले में रहने वालों का दर्द, जिले की जनता की उम्मीदों पर अखिलेश यादव खरे नहीं उतर सके।
भाजपा नेताओं की प्रतिक्रिया
इस घटना पर भाजपा के स्थानीय नेताओं ने भी अपनी प्रतिक्रिया जाहिर की है। भाजपा जिला उपाध्यक्ष हरिवंश मिश्र ने का आरोप है कि जिले की जनता ने इतने बड़े नेता को चुनाव जीता कर इसलिए भेजा था कि जिले की समस्याओं का समाधान करेंगे। मगर अखिलेश सिर्फ आजमगढ़ जिले के लालगंज संसदीय क्षेत्र में निजी कार्यक्रम में ही शामिल होते हैं। जलभराव व डायरिया से जूझ रही जनता का हाल लेने नहीं आते हैं। कोविड संक्रमण के समय प्रधानमंत्री ने अपने संसदीय क्षेत्र का दौरा किया, पर अखिलेश यादव अपने संसदीय क्षेत्र में झांकने तक नहीं आए। इसी से नाराज होकर यह पोस्टर लगाए गए हैं।
कांग्रेस के नेताओं ने भी लगाए थे पोस्टर
आजमगढ़ संसदीय सीट से 2014 से सांसद चुने गए मुलायम सिंह यादव के भी लापता होने के पोस्टर 2015 में पोस्टर लगे थे। उस समय मुलायम सिंह यादव को जिले की जनता ने लालटेन लेकर खोजना शुरू किया था। हालांकि, 2019 के लोकसभा चुनाव में मुलायम सिंह ने यह सीट अपने बेटे के लिए छोड़ दी। अखिलेश यादव इस सीट से 2019 में सांसद चुने गए। जिले की नजरअंदाजी के कारण अखिलेश यादव के लापता होने के पोस्टर पूर्व में भी लगे थे।