वायु प्रदूषण के सवाल पर अमलतास और सीड के संयुक्त तत्वाधान में संगोष्ठी का आयोजन

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Seminar organized under the joint aegis of Amaltas and SEED on the question of air pollution
वायु प्रदूषण के सवाल पर इंदिरानगर में संगोष्ठी का आयोजन किया गया

लखनऊ। इन्दिरा नगर, लखनऊ में गांधी जयंती के अवसर पर वायु प्रदूषण के सवाल पर सामाजिक संस्था अमलतास और सीड के संयुक्त तत्वाधान में एक संगोष्ठी का आयोजन हुआ।

संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए वीरेंद्र त्रिपाठी

इस अवसर पर कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए वीरेन्द्र त्रिपाठी ने कहा दो साल पहले केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की जारी रिपोर्ट के मुताबिक देश के 13 ऐसे शहर हैं, जहाँ की औसत वायु गुणवत्ता 400 के पार है, जो गंभीर श्रेणी में आता है। इन शहरों में सबसे अधिक 7 उत्तर प्रदेश से हैं। वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने की दिशा में सबसे जरूरी और पहला कदम यही है कि प्रदूषण का स्तर मापा जाये। बिना जानकारी के समाधान तलाशना संभव नहीं है। आंकड़े मिलना शुरू होते ही जागरूकताए व्यवहार परिवर्तन और फिर नीति परिर्वतन के लिए पैरोकारी भी हो पायेगा।

संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के तौर पर मौजूद डा. सतीश श्रीवास्तव व वीरेंद्र त्रिपाठी

डा. सतीश श्रीवास्तव ने चर्चा करते हुए कहा कि केन्द्रीय पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 17 अप्रैल 2018 को राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम ;एनसीएपीद्ध का एक प्रस्तावित प्रारूप घोषित किया है। मंत्रालय द्वारा घोषित प्रारूप में प्रदूषण के रोकथाम में अब तक असफल रहने वाले जिलों-शहरों को चिन्हित किया गया है और उन्हें प्रदूषण के रोकथाम के लिए जिले स्तर पर योजना तैयार करने का निर्देश दिया गया है। जिसमें उत्तर प्रदेश के भी कुल 15 शहरों को चिन्हित किया गया है। शहरों के अन्दर यह प्रक्रिया अभी तक अत्यंत धीमी है।

इन योजनाओं के निर्माण व क्रियान्वयन में जन भागीदारी का होना अति आवश्यक है। वायु प्रदूषण जैसे गंभीर विषय पर एक समेकित समाधान का लक्ष्य हासिल करने की दृष्टि से यह जरूरी है कि जिले व राज्य स्तर पर योजना निर्माण की यह प्रक्रिया पारदर्शी हो और राज्य की जनता के पास इस प्रक्रिया में शामिल होने के पर्याप्त अवसर हों। प्रदेश सरकार ने इस समस्या से निपटने के लिए पूर्व में अपनी मंशा जाहिर भी की है, ऐसे में अब यह आवश्यक है कि वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए निगरानी और मूल्यांकन तंत्र के विकास के साथ. लक्ष्यों को भी चिन्हित किया जाए। सभी हितधारकों की भागीदारी बढ़ाए जाने सम्बंधित विभागों की ओर से पारदर्शिता बरते जाने के साथ-साथ वायु प्रदूषण को एक सामाजिक.राजनैतिक चिंता के रूप में देखते हुए सभी स्तरों पर उत्तरदायित्व व जवाबदेही बढ़ाये जाने के प्रयास से ही उत्तर प्रदेश पूरी तरह स्वच्छ और स्वस्थ्य बन सकेगा।

सामाजिक कार्यकर्ता वीरेन्द्र गुप्ता ने कहा कि हमारे मुहल्लों में पर्याप्त साफ-सफाई का न होना, कूड़े का ढेर लगा होना भी प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हैं। इसके लिए हम लोगों की जागरूक जरूरी है, लेकिन नगर निगम की भी जिम्मेदारी है। आज गांधी जयंती के अवसर पर हम सभी संकल्प लेते हैं कि अपने मुहल्ले में और आसपास सफाई रखेंगे। इस अवसर पर अन्य लोगों ने भी अपने विचार रखे।

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