सियासी किरदार की हसरत लेकर चले गए अनुपम श्याम

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Anupam Shyam went away with the desire of a political character
यूपी में कलाकार ट्रैक सियासत की तरफ खूब भाग रहे है। अब यहां कला पर सियासत ज्यादा हावी होने लगी है।

लखनऊ, नवेद शिकोह। अनुपम का अर्थ होता है बेमिसाल। अपने नाम के अनुरूप अनुपम श्याम बेमिसाल अभिनेता थे। जिन्दगी ज्यादा नसीब होती और मौत कुछ और मोहलत दे देती तो शायद ये अभिनेता अच्छा नेता भी साबित होता। तमाम कलाकारों की तरह ये भी सियासत में एंट्री लेना चाहते थे। विधायक या सांसद बनकर विधानसभा या लोकसभा में कला और कलाकारों के हित में आवाज़ उठाना चाहते थे। लेकिन मौत ने ये हसरत पूरी नहीं होने दी।

यूपी में कलाकार ट्रैक सियासत की तरफ खूब भाग रहे है। अब यहां कला पर सियासत ज्यादा हावी होने लगी है। शायद कलाकारों को लगने लगा है कि उत्तर प्रदेश में कला से ज्यादा सियासत का स्कोप है। हुनरमंदों को कला मे कम राजनीति में ज्यादा दिलचस्पी होने लगी है। यूपी के ज्यादातर सफल कलाकार सियासत मे आ गए। कोई सांसद बना तो कोई विधायक। लोकसभा या विधानसभा चुनावों में यूपी के कलाकारों की खूब उपस्थिति होती है।

आज हम सब को छोड़ कर जाने वाले एक बेहतरीन अभिनेता की सियासत मे आने की हसरत पूरी नहीं हो सकी।अभिनेता अनुपम श्याम नहीं रहे। यूपी के प्रतापगढ़ की माटी की ये प्रतिभा किसी पहचान की मोहताज नहीं थी। बतौर अभिनेता हर तरह का किरदार हासिल करने वाले अनुपम सियासत का वास्तविक किरदार पाने में असफल रहे। सियासत में आने की उनकी हसरत पूरी नहीं हो सकी।

बताया जाता है कि पिछले विधानसभा चुनाव में वो भाजपा से टिकट चाहते थे। वो लखनऊ भाजपा कार्यालय भी आते रहे। इस अभिनेता को रील लाइफ मे तो नेताओं के खूब किरदार मिले लेकिन रियल लाइफ में इन्हें नेता बनने या चुनाव लड़ने का टिकट नहीं मिला।अनुपम श्याम के चले जाने का ग़म इसलिए भी ज्यादा है कि अभी बहुत कुछ बाकी था। इस कलाकार की मौत से यूपी में ज्यादा मायूसी है।

एक ग़म ये कि कला में यूपी की उर्वरक माटी अब बंजर होती जा रही है, दूसरी ये तकलीफ कि इस माटी की पुरानी नामचीन प्रतिभाएं धीरे-धीरे खत्म होती जा रही हैं। मुफलिसी वाले रंगमंच के स्ट्रगलर की आग मे तप कर अनुपम श्याम नाम का अभिनेता का अभिनय तप कर कुन्दन बना था। अपने नाम के मुतालिक़ अनुपम बेमिसाल एक्टिंग के हुनर के मालिक थे। गर्दिश के दौर से गुजर रहे हिंदी थियेटर से छोटे और बड़े पर्दे पर छलांग लगा कर एक विशिष्ट पहचान बनाने वाले मनोहर श्याम बीमार और परेशान चल रहे थे। योगी सरकार ने उन्हें आर्थिक मदद भी दी थी।

64 वर्षीय इस अभिनेता का मुंबई के एक अस्पताल मे इलाज चल रहा था। टेलीविजन के मशहूर धारावाहिक प्रतिज्ञा के किरदार सज्जन सिंह ने इन्हें विशिष्ट पहचान दिलाई। जबकि इनके अभिनय का सफर करीब तीन दशक तक थियेटर से लेकर टीवी फिक्शन और दर्जनों बेहतरीन फिल्मों के मील के पत्थरों से गुजरता रहा।इन्हें पॉलिटिक्स में आने की हसरत थी। चुनावी मौसम में इन्हें लखनऊ भाजपा कार्यालय मे भी देखा गया।

रोबदार चेहरे और शानदार अभिनय के धनी अनुपम श्याम ओझा के जाने से अभिनय की दुनिया गमगीन है। खासकर लखनऊ के वे साथी दोस्त बेहद दुखी हैं जिनके साथ उन्होंने भारतेंदु नाट्य अकादमी से अभिनय का सफर शुरू किया था। दोस्तों को इंतेजार रहता था कि किसी सिलसिला में वो लखनऊ आएं तो पुरानी यादों की बातों के साथ यारों की महफिल सजे।अफसोस लखनऊ मे पुराने कलाकरों की आइंदा किसी महफिल में अब अनुपम श्याम नहीं होंगे। उनकी बातें,यादें, जिक्र ज़रूर होते रहेंगे। उनकी मेहनत,स्ट्रगल और जज्बें के तस्किरे नई पीढ़ी को कुछ कर गुजरने की प्रेरणा भी देते रहेंगे।

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