उत्तर प्रदेश पॉपुलेशन पॉलिसी 2021-2030 का विश्लेषण

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Analysis of Uttar Pradesh Population Policy 2021-2030
जनसंख्या के लिए जरूरी भोजन, मकान, कपड़ा, शिक्षा और स्वास्थ्य सभी कुछ आसानी से दिया जा सकता है।

वीरेंद्र त्रिपाठी,लखनऊ। स्वास्थ्य, चिकित्सा, रोजगार, खेती आदि सभी मूलभूत सवालों पर पूरी तरह असफल प्रदेश सरकार, उत्तर प्रदेश पापुलेशन पालिसी 2021-2030 के नाम से एक नया जनविरोधी कार्यक्रम लेकर आई है। इसी तरह की योजना इससे पहले असम और लक्षद्वीप में भी लागू किया जा रहा है। महत्वपूर्ण बात यह है कि बीजेपी नीति केन्द्र सरकार अपने पहले कार्यकाल के शुरुआती दिनों में इस बात की तारीफ करते थे कि भारत में युवा आबादी दूसरे देशों से अधिक है। इस युवा आबादी के बल पर वह देश को 5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था तक पहुंचा देगें।आज उसकी नजर में यह आबादी देश पर बोझ है और अब देश को आबादी घटाने की ओर ले जाया जाएगा।

महत्वपूर्ण बात यह है कि देश में लम्बे समय से लागू पुरानी पालिसी में जनसंख्या नियंत्रण के लिए शिक्षा और विकास पर जोर दिया गया था। इसके नतीजे के तौर पर आज देश के 29 राज्यों में से 24 राज्यों में बच्चे पैदा करने की दर प्रति महिला 2.1 हो चुकी है। यह एक ऐसी स्थिति है कि जिससे जनसंख्या वृद्धि दर शून्य हो जाती है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह दर और थोड़ा नीचे जाएंगी तो अपने देश में बुजुर्गों की संख्या युवाओं से अधिक होती जाएगी। यह एक नए संकट को जन्म देगा। जहां तक हिन्दू- मुसलमान का सवाल है, वहां पर कई राज्यों में हिन्दू के बच्चे पैदा करने की दर अधिक है और कुछ राज्यों में मुस्लिमों की। कुल मिलाकर दोनों की स्थिति लगभग एक जैसी ही है और उत्तर प्रदेश में भी यही स्थिति है।

दरअसल जनसंख्या वृद्धि इस देश की कोई समस्या नहीं है। समस्या है इस देश की व्यवस्था, जो इतनी विशाल श्रम शक्ति का उपयोग समाज हित की बजाए उसका शोषण कर चंद लोगों को अमीर बनाने में लगी हुई है। अगर इस शोषण को रोक दिया जाए तो जनसंख्या के लिए जरूरी भोजन, मकान, कपड़ा, शिक्षा और स्वास्थ्य सभी कुछ आसानी से दिया जा सकता है। यदि शोषण नहीं रोका गया तो जनसंख्या चाहे जितनी कम क्यों न हो जाए, समस्या खत्म नहीं होगी। आज से 75 वर्ष पहले जब भारत की जनसंख्या 50 करोड़ के आसपास थी। लोगों की समस्याएं आज से भी ज्यादा भयंकर थी। क्या जनसंख्या कम होने से लोगों की समस्याओं को खत्म किया जा सकता है इसकी गारंटी कौन देगा

यह बिल नागरिकों के कल्याण के लिए नहीं लाया गया है। इस बिल में यह प्राविधान करना कि दो से अधिक बच्चों के परिवार से कल्याणकारी योजनाओं का लाभ छीन लिया जाएगा, उन्हें चुनाव लड़ने से वंचित कर दिया जाएगा और सुविधायें भी खत्म करके उन्हें दोयम दर्जे का नागरिक घोषित कर दिया जायेगा। इससे इसका सीधा असर ग्रामीण आबादी, गरीब मेहनतकश आबादी पर पड़ेगा। आबादी के इस हिस्से में हर धर्म के लोग हैं।इस तरह यह कानून आम नागरिकों के लोकतांत्रिक अधिकार छीनने का और सामाजिक विभाजन पैदा करने का और अन्ततः देश को और निर्मम तनाशाही की ओर ले जाने का कुत्सित प्रयास है।

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