यूपी विधानसभा चुनाव 2022 की बिसात बिछने के साथ ही राजनीतिक शह और मात का खेल शुरू हो गया है। सूबे में भाजपा और सपा के सामने मृतप्राय मानी जा रही कांग्रेस में नई जान फूंकने का जिम्मा अब प्रियंका गांधी ने खुद अपने कंधों पर ले लिया है। इस कड़ी में उनका हालिया लखनऊ दौरा खासा सफल रहा है। दौरे के पहले दिन प्रियंका ने गांधी प्रतिमा पर मौन व्रत धारण कर विरोधियों को चकित किया तो अगले ही दिन लखीमपुर जाकर उन्होंने पॉलिटिकल माइलेज ले लिया। प्रियंका गांधी के लखीमपुर दौरे की सबसे खास बात यह रही कि उन्होंने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को एक ही झटके में राजनीति का नया ककहरा पढ़ा दिया।
यूपी विधानसभा चुनाव के लिए गोटियां बिछाने की शुरुआत पीएम नरेंद्र मोदी ने सोमवार को अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी को 1500 करोड़ की परियोजनाओं की सौगात देकर की। इस दौरान पीएम ने यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के कार्यों की जमकर तारीफ की और आगामी विधानसभा चुनाव उन्हीं के नेतृत्व में लडऩे की बात कही। दूसरी ओर समाजवादी पार्टी पंचायत चुनाव और बढ़ती महंगाई को मुद्दा बनाते हुए जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन कर राजनीति को धार देने की कोशिश कर रही है। लेकिन इन दोनों पार्टियों को पीछे छोड़ते हुए प्रियंका गांधी ने नया दांव खेल दिया। प्रियंका गांधी के हालिया लखनऊ दौरे में किसी को यह अंदाजा नहीं था कि वह ब्लॉक प्रमुख चुनाव के नामांकन के दौरान अभद्रता का शिकार हुईं दो महिलाओं से मुलाकात करने लखीमपुर पहुंच जाएंगी। शनिवार सुबह प्रिंयका गांधी योजनाबद्ध तरीके से लखीमपुर खीरी पहुंचीं, और पसगंवा गांव में सपा उम्मीदवार रितु सिंह और उनकी प्रस्तावक अनीता यादव से बातचीत की। दोनों के साथ अभद्रता को लेकर प्रियंका ने आश्वासन दिया कि वह इस मामले को चुनाव आयोग तक लेकर जाएंगी और उन्हें न्याय दिलाने की पूरी कोशिश करेंगी।
क्या है पूरा मामला
ब्लॉक प्रमुख के नामांकन के दौरान बीजेपी और सपा उम्मीदवारों के बीच कई जगह झड़प हुई थी। लखीमपुर में सपा समर्थित उम्मीदवार रितु सिंह के नामांकन के दौरान उनकी प्रस्तावक अनीत यादव के साथ बदसलूकी की गई थी। दो-तीन लोगों ने उनकी साड़ी खींचने की कोशिश की थी। इसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। आरोप था कि बीजेपी के समर्थकों ने महिला के साथ अभद्रता की थी।
इस मामले में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने गुस्सा जाहिर करते हुए ट्वीट किया था, ‘पहले हाथरस की बेटी और अब लखीमपुर खीरी की बहन के साथ हुआ अत्याचार जनता देख रही है। रामायण साक्षी रही है और महाभारत गवाह है, जो नारी का अपमान करते हैं, उनको इस देश के लोगों ने कभी माफ नहीं किया और न कभी करेंगे। भाजपा की सत्ता की भूख आसुरिक है।’
इस शर्मनाक घटना को लेकर अब लखीमपुर जाने के प्रियंका के निर्णय को बेहद परिपक्व और सोच-समझकर उठाया गया कदम बताया जा रहा है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि अखिलेश यादव केवल ट्विटर पर टिप्पणी करके यूपी चुनाव की तैयारी कर रहे हैं बल्कि प्रियंका राजनीति की पथरीली जमीन पर उतरकर संघर्ष के लिए तैयार हैं।
यह अपने नेता से मिला हौसला ही है कि यूपी कांग्रेस ने प्रियंका के लखीमपुर दौरे की तस्वीर साझा कर लिखा, ‘दल के हिसाब से नहीं दर्द के हिसाब से रिश्ता निभाने वाली नेता का नाम प्रियंका गांधी है।’ कांग्रेस नेता इमरान प्रतापगढ़ी ने लिखा, ‘बुला कर मिलने और जा कर मिलने में बड़ा फर्क होता है। पंचायत चुनाव में जिस महिला के साथ हिंसा हुई थी उससे लखीमपुर जाकर मुलाकात करती प्रियंका जी।’
मुकाबले में कांग्रेस
यूपी विधानसभा चुनाव में भाजपा के सामने सपा को मुख्य दावेदार माना जा रहा है लेकिन प्रियंका ने कुछ ही दांव में समीकरण पलटने का माद्दा दिखा दिया है। दूसरी ओर 2012 में मुलायम की राजनीतिक विरासत पर महल खड़ा करने वाले अखिलेश यादव के सामने चुनौती है कि वह प्रियंका का मुकाबला कैसे करते हैं? आने वाले चुनाव में अखिलेश को अपनी जमीन खुद बनानी है और भाजपा के साथ-साथ प्रियंका से भी निपटने की कारगर योजना तैयार करनी पड़ेगी।