ओवैसी ने सपा के गढ़ से किया आगाज, मुस्लिम आबादी वाले 23 जिलों में बिगाड़ेंगे खेला

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Owaisi started from SP's stronghold, will play spoils in 23 districts with Muslim population
औवैसी ने सपा के गढ़ में दस्तक देकर खेला बिगाड़ेंगे का संदेश दे रहे है।

बहराइच। बंगाल के बाद यूपी में खेला होवे का स्लोगन सोशल मीडिया से लेकर अखबारों की सुर्खिया बन रहा है। जहां सपा वाले खेला होवे का नारा दे रहे है तो भाजपा वाले खेला करेंगे खत्म का नारा बुलंद कर रहे है। वहीं अब एआईएमआईएम चीफ औवैसी ने सपा के गढ़ में दस्तक देकर खेला बिगाड़ेंगे का संदेश दे रहे है। आपकों बता दें कि यूपी के 23 जिलों में मुस्लिमों की बीस फीसद आबादी है। ऐसे में ओवैसी और राजभर का गठबंधन भाजपा और सपा दोनों का खेला बिगाड़ सकते है।

असदुद्दीन ओवैसी ने बुधवार को उत्तर प्रदेश के बहराइच पहुंचे। जहां उन्होंने कैंप कार्यालय का उद्घाटन करने के साथ-साथ सालार मसूद गाजी की दरगाह पर भी मत्था टेका। सालार मसूद गाजी, देश पर 17 बार आक्रमण करने वाले महमूद गजनवी का भांजा था। इस दरगाह से पूर्वांचल के कई जिलों की आस्था जुड़ी हुई है। ओवैसी की बहराइच यात्रा के साथ ही एक बार फिर मुस्लिम वोट बैंक राजनीति के केंद्र में है।

आपकों बता दे कि बहराइच में मुस्लिम आबादी 34% है। यह साफ है कि यूपी विधानसभा 2022 के चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की निगाह सिर्फ बहराइच पर ही नहीं बल्कि उन जिलों पर भी है, जहां 20% से ज्यादा मुस्लिम आबादी है। बहराइच में 7 विधानसभा सीट है इसे सपा का गढ़ माना जाता रहा है। लेकिन 2017 विधानसभा चुनावों में भाजपा ने सारे मिथक तोड़ दिए। यही नहीं 2014 और 2019 लोकसभा चुनाव में भी भाजपा ने ही परचम फहराया है।
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बहराइच की 4 सीट मुस्लिम बाहुल्य

बहराइच की 7 विधानसभाओं में से 4 विधानसभा, बहराइच सदर में 52%, नानपारा विधानसभा में 45%, मटेरा विधानसभा में 45% और कैसरगंज में 30% मुस्लिम मतदाता हैं। हालांकि बलहा, महसी और पयागपुर मुस्लिम बाहुल्य सीट नहीं है। इन 4 सीटों पर वर्षों से सपा का कब्जा रहा है। बहराइच में सपा का वर्चस्व इससे ही जाहिर होता है कि बहराइच सदर सीट पर सपा के पूर्व मंत्री वकार अहमद शाह लगातार 5 बार विधायक रहे हैं। वहीं उनके बेटे यासर शाह भी मटेरा विधानसभा से लगातार 2 बार से विधायक हैं। 2017 में भाजपा की आंधी में भी उन्होंने अपनी सीट बचाए रखी। अब आने वाले समय यदि मुस्लिम वोटरों का बटवारा होता है तो इसका सीधा फायदा भाजपा, बसपा या कांग्रेस को काई उठा सकती है,क्योंकि यहां प्रत्याशी का व्यक्तिगत पकड़ मायने रखती है।

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