लखनऊ। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर अमलतास सामाजिक संस्था द्वारा इंदिरानगर, लखनऊ में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। हर साल दुनिया भर में यह दिन 8 मार्च को एक उत्सव के रूप में मनाया जाता है। ये दिन महिलाओं को समर्पित है। आज आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, खेल हर क्षेत्र महिलाओं की उपलब्धियों से भरा हुआ है। ये दिन इन्हीं उपलब्धियों को सलाम करने का दिन है। इसके अलावा इन दिन का मकसद महिलाओं के अधिकारों को लेकर जागरुकता फैलाना भी है ताकि उन्हें उनका हक मिल सके और वह पुरुषों के साथ कदम से कदम मिलाकर चल सकें।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए अमलतास के सचिव अजय शर्मा ने कहा कि आज महिलाएं आत्मनिर्भर बन गई हैं। हर क्षेत्र में वह मिसाल कायम कर रही हैं। लेकिन कई बार उन्हें समाज में लैंगिक असमानता का व्यवहार झेलना पड़ता है। ऐसे में इस दिन महिलाओं के प्रति समाज में व्याप्त भेदभाव और असमानता को खत्म करने का संकल्प लेना चाहिए।
शारीरिक पीड़ा देना जैसे मारपीट करना
किन्तु महिलाओं के खिलाफ हिंसा की घटनायें खत्म नहीं हो रही हैं। उन्होनें बताया कि किसी महिला को शारीरिक पीड़ा देना जैसे मारपीट करना, धकेलना, ठोकर मारना, किसी वस्तु से मारना या किसी अन्य तरीके से महिला को शारीरिक पीड़ा देना, महिला को अश्लील साहित्य या अश्लील तस्वीरों को देखने के लिये विवश करना, बलात्कार करना, दुव्र्यवहार करना, अपमानित करना, महिला की पारिवारिक और सामाजिक प्रतिष्ठा को आहत करना, किसी महिला या लड़की को अपमानित करना, उसके चरित्र पर दोषारोपण करना, उसकी शादी इच्छा के विरुद्ध करना, आत्महत्या की धमकी देना, मौखिक दुव्र्यवहार करना आदि महिला हिंसा में आते हैं।
इस अवसर महिला अधिकार कार्यकर्ता चमेली ने कहा कि यह बात सही है कि महिलाएं हर क्षेत्र में परचम लहरा रही है। लेकिन यह भी कटु सत्य है कि आज भी कई जगहों पर उन्हें लैंगिक असमानताए भेदभाव झेलना पड़ता है। कन्या भू्रण हत्या के मामले आज भी आते हैं। महिला के खिलाफ अपराध बढ़ते जा रहे हैं। ऐसे में हमारा यह कत्तव्र्य है हम महिलाओं की स्थिति समाज में बेहतर बनाने को लेकर प्रयासरत रहने का संकल्प लें।