गजब: कानपुर में हेड कांस्टेबल चार साल से दरोगा बनकर करता रहा नौकरी, 150 केस भी सुलझाए

557
Amazing: Head constable in Kanpur has been working as a police officer for four years, also solved 150 cases
दरोगा स्तर के करीब 150 मामलों को भी सुलझा दिए और अधिकारियों को कोई भनक तक नहीं लगी।

कानपुर। अभी तक एक कहावत थी की एक एमपी गजब है। यहां के लोग ऐसी—ऐसी करतूते करते थे कि अनायास ही यह कहावत याद आ जाती है, लेकिन अब एमपी की तर्ज पर यूपी में भी बड़े—बड़े कारनामें सामने आए है जिसे सुनकर आप कह उठेंगे यूपी गजब है। दरअलस कानपुर पुलिस में सनसनीखेज खुलासा हुआ। यहां यूपी पुलिस के हेड कांस्टेबल दयाशंकर वर्मा का एक बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। जिसमें हेड कांस्टेबल होने के बावजूद वह पिछले चार साल से दरोगा के पद पर नौकरी कर रहा है। यही नहीं दरोगा स्तर के करीब 150 मामलों को भी सुलझा दिए और अधिकारियों को कोई भनक तक नहीं लगी।

उरई निवासी दयाशंकर वर्मा 1981 बैच का सिपाही है। कुछ समय पहले कमिश्नरी के नजीराबाद थाने में तैनात हुआ था। वर्तमान में पुलिस लाइन मेें तैनाती है। कई मामलों की जांच दयाशंकर के खिलाफ चल रही है। वर्तमान में उसका पद एचसीपी (हेड कांस्टेबल प्रमोटी) है, लेकिन, विभागीय लिखापढ़ी में वह 2018 से दरोगा यानी सब इंस्पेक्टर है।

सूत्रों के मुताबिक मार्च-अप्रैल 2018 में दयाशंकर की तैनाती घाटमपुर थाने में थी। उसी दौरान किसी मामले में उसने उच्चाधिकारी को प्रार्थना पत्र दिया था। इसमें उसने अपना पद दरोगा लिखा था। इसके बाद उसी दस्तावेज के आधार पर आगे कई दस्तावेज तैयार होते गए।इसी दौरान जब दरोगाओं के तबादले हुए तो उसमें दयाशंकर का भी नाम शामिल था। यहां से उसे चौबेपुर थाने भेजा गया। इसके बाद थाने बदलते रहे और वह दरोगा ही रहा। कई चौकियों का प्रभारी भी बना।

विभागीय अफसरों की लापरवाही

दयाशंकर जब दरोगा बना तब केस भी चल रहा था। आज तक किसी अफसर व विभाग के बाबू ने इस पर सवाल नहीं खड़े किए। अब ये जांच का विषय है कि वक्त के साथ अफसर बदलते गए लेकिन फर्जीवाड़े पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई। इसमें लापरवाही है या किसी की मिलीभगत।2017 में जब दयाशंकर बर्रा थाने में तैनात था, तो रिश्वतखोरी में जेल गया था। आज भी केस चल रहा है। इसी मामले में उसने तत्कालीन बर्रा इंस्पेक्टर पर आरोप लगाए थे। इसकी भी जांच चल रही है।दो महीने पहले उसने इसी संबंध में प्रेसवार्ता करने का एलान किया था। इसके बाद तत्कालीन पुलिस कमिश्नर असीम अरुण ने उसे निलंबित कर दिया था। 10 दिन बाद ही वह बहाल भी हो गया था।

इन मामलों को निपटाया

दयाशंकर ने दरोगा स्तर की करीब 150 केसों की विवेचनाएं कीं। हत्या के प्रयास, दुष्कर्म, लूट जैसे गंभीर मामले भी शामिल हैं। इन विवेचनाओं को करने का उसका अधिकार नहीं था।

“मुझे खुद नहीं पता कैसे दरोगा पद पर प्रमोशन दे दिया। साजिशन ऐसा किया गया। जिसकी मैंने उच्चाधिकारियों से शिकायत भी की थी।” – दयाशंकर वर्मा, एसीपी

“अभी मामला संज्ञान में नहीं है। संबंधित अधिकारी से इस संबंध में जानकारी ली जाएगी। जो भी तथ्य सामने आएंगे उस आधार पर जांच कर कार्रवाई की जाएगी।”

– आनंद प्रकाश तिवारी, ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर, कानून व्यवस्था

इसे भी पढ़ें..

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here