बैंक ऑफ इंडिया के प्रधान कार्यालय में विश्व हिन्दी दिवस के उपलक्ष्य में हुई संगोष्ठी

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Seminar on the occasion of World Hindi Day at the Head Office of Bank of India
। श्री शैलेश कुमार मालवीय, उप महाप्रबंधक(राजभाषा) द्वारा बैंक ऑफ इंडिया में राजभाषा कार्यान्वयन में किए जा रहे कार्यों पर प्रस्तुति दी गई ।

लखनऊ बिजनेस डेस्क। विश्व हिन्दी दिवस के उपलक्ष्य में बैंक ऑफ इंडिया,प्रधान कार्यालय द्वारा “आत्मनिर्भर भारत और कौशल विकास में हिन्दी एवं क्षेत्रीय भाषाओं की भूमिका व योगदान” विषय पर ऑनलाइन संगोष्ठी का आयोजन किया गया।इस संगोष्ठी में श्री बाबूलाल मीना,निदेशक,भारत सरकार,गृह मंत्रालय,राजभाषा विभाग एवं श्री भीम सिंह,उपनिदेशक,भारत सरकार,वित्त मंत्रालय,वित्तीय सेवाएँ विभाग एवं बैंक के कार्यपालक निदेशक श्री स्वरूप दासगुप्ता विशेष रूप में उपस्थित रहें। संगोष्ठी का विधिवत आरंभ करते हुए श्री प्रमोद कुमार द्विवेदी, महाप्रबंधक ने संगोष्ठी से जुड़े सभी का स्वागत किया। इस अवसर पर “ब्रिटिश सरकार द्वारा प्रेमचंद की ज़ब्तशुदा कहानियों का सारांश एवं उनका अध्ययन” पुस्तिका का विमोचन किया गया। श्री शैलेश कुमार मालवीय, उप महाप्रबंधक(राजभाषा) द्वारा बैंक ऑफ इंडिया में राजभाषा कार्यान्वयन में किए जा रहे कार्यों पर प्रस्तुति दी गई ।

क्षे​त्रीय भाषाओं के विकास दिया जोर

संगोष्ठी के प्रथम वक्ता के रूप में श्री स्वरूप दासगुप्ता, कार्यपालक निदेशक,बैंक ऑफ इंडिया ने अत्यंत सरल शब्दों में आत्मनिर्भर बनने में कौशल विकास का महत्व तथा कौशल विकास में क्षेत्रीय भाषाओं की भूमिका पर अपने विचार व्यक्त किए। श्री भीम सिंह, उपनिदेशक,भारत सरकार,वित्त मंत्रालय वित्तीय सेवाएँ विभाग ने कहा कि किसी भी देश के आर्थिक सामाजिक विकास में कौशल का बहुत महत्व है। विज्ञान/तकनीक के क्षेत्र में ड्रॉप आउट की संख्या अधिक होने का कारण है क्षेत्रीय भाषाओं का प्रयोग न किया जाना।

उन्होंने कहा कि बीमा तथा वित्तीय संस्थाएं देश के अंतिम छोर तक सेवाएं उपलब्ध करवा रही हैं और इसमे क्षेत्रीय भाषाओं का भरपूर प्रयोग किया जा रहा है। श्री बाबूलाल मीना,निदेशक (कार्यान्वयन/सेवा), भारत सरकार,गृह मंत्रालय,राजभाषा विभाग ने विश्व हिन्दी दिवस के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारत की आत्मनिर्भरता में युवा शक्ति का बहुत बड़ा योगदान है। उन्होंने नई शिक्षा नीति का जिक्र करते हुए कहा कि भारत का साहित्य बहुत समृद्ध है अतः क्षेत्रीय भाषाओं का विकास किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा की हिन्दी सभी संस्कृतियों को जोड़ने का प्रयास करती है और आज की आवश्यकता है कि अपनी भाषा में युवाओं को सशक्त बनाया जाए।

किए जा रहे प्रयासों की सराहना की

बैंक ऑफ इंडिया द्वारा राजभाषा कार्यान्वयन की दिशा में किए जा रहे प्रयासों की सराहना की। श्री रा म विश्वकर्मा , सदस्य सचिव ,नराकास(बैंक), मुंबई ने प्रासंगिक विषय पर संगोष्ठी आयोजन करने हेतु बैंक ऑफ इंडिया को बधाई दी। कार्यक्रम का संचालन श्री शैलेश कुमार मालवीय, उप महाप्रबंधक(राजभाषा) द्वारा किया गया। संगोष्ठी के अंत में सुश्री मऊ मैत्रा, सहायक महाप्रबंधक(राजभाषा) द्वारा धन्यवाद ज्ञापित किया गया। संगोष्ठी में देश भर में तैनात सभी राजभाषा अधिकारी तथा बैंक ऑफ इंडिया के संयोजन में कार्यरत 12 नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति के अध्यक्ष तथा सदस्य सचिवों ने सहभागिता की।

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