लखीमपुर हिंसा कांड: 14 आरोपियों के खिलाफ 5000 पन्नों की चार्जशीट दाखिल,केंद्रीय मंत्री टेनी का साला भी बना आरोपी

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यूपी के लखीमपुर खीरी में किसानों को गाड़ी से कुचलकर हत्या करने के तिकुनिया कांड मामले में जांच टीम ने सोमवार को अदालत में पांच हजार पन्नों की चार्जशीट दाखिल की।

लखनऊ। केन्द्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध—प्रदर्शन के क्रम में यूपी के लखीमपुर खीरी में किसानों को गाड़ी से कुचलकर हत्या करने के तिकुनिया कांड मामले में जांच टीम ने सोमवार को अदालत में पांच हजार पन्नों की चार्जशीट दाखिल की। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इसमें 208 गवाहों और 14 आरोपियों के नाम हैं।

बताया गया कि इन आरोपियों में गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र का एक रिश्तेदार भी शामिल है। वहीं मामले का मुख्य आरोपी केन्द्रीय ​गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र का बेटा आशीष मिश्र है। गौरतलब है कि तीन अक्तूबर को तिकुनिया कस्बे में हुई हिंसा में चार किसानों और एक पत्रकार सहित आठ लोगों की जान गई थी।

जानकारी के मुताबिक इसी तारीख को रात में एफआईआर दर्ज कराई गई थी। इसमे 14 लोगों को मामले का आरोपी बताया गया था। वहीं भाजपा नेता की ओर से दर्ज कराई गई एफआईआर में अब तक सात आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है।

चार्जशीट में अजय मिश्र के साले वीरेंद्र शुक्ला का नाम भी जुड़ा

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक चार्जशीट में गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र के बेटे आशीष मिश्र के साथ ही उनके साले वीरेंद्र शुक्ला का भी नाम जोड़ा गया है। बताया गया कि वीरेंन्द्र शुक्ला ब्लॉक प्रमुख है। इन पर पुलिस को झूठी सूचना देने का आरोप है। बताया गया कि घटना के दिन काफिले में वीरेंद्र शुक्ल की स्कॉर्पियो गाड़ी थी।

जोकि संपूर्णानगर से पुलिस ने बरामद की थी। वहीं आशीष मिश्र के वकील अवधेश सिंह के मुताबिक आरोप पत्र दाखिल कर दिया गया है मगर अभी उन्हें कॉपी नहीं मिली है।  बताते चलें कि तिकुनिया कांड में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र का बेटा आशीष मिश्र मोनू समेत 13 आरोपी जिला कारागार में बंद हैं।

आशीष मिश्र की गिरफ्तारी भले ही 10 अक्तूबर को हुई थी, लेकिन उससे पहले सात अक्तूबर को आशीष मिश्र के करीबी लवकुश और आशीष पांडेय को गिरफ्तार कर लिया गया था। बताया गया कि दोनों को आठ अक्तूबर को न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया था।

लगातार सुर्खियों में बना है यह हिंसा कांड

मीडिया में चल रही खबरों के मुताबिक कानून के जानकारों के अनुसार हत्या जैसे जघन्य मामले में विवेचक को न्यायिक अभिरक्षा के पहले दिन से 90 दिनों के भीतर जांच मुकम्मल कर चार्जशीट दाखिल करने की बाध्यता होती है। कहा जा रहा है कि देश की राजनीति की दशा और दिशा को प्रभावित करने वाले,

तिकुनिया कांड पर लोगों के साथ ही सियासी पंडितों की भी नजर है। बताया जा रहा है कि इसकी वजह केंद्रीय मंत्री के बेटे का इस मामले में आरोपी होना है। माना जा रहा है कि मामला हाईप्रोफाइल होने के कारण मीडिया की सुर्खियों में खूब रहा है।

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