अवनीश पाण्डेय, लखनऊ– जातिगत जनगणना को लेकर यूपी में सियासी ताप दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। यह ऐसा मुद्दा है, जो किसी भी दल के यूपी फतह के बाद भी इसमें हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं रखते है। ऐसे में इसे लेकर किया जाने वाला वादा नेताओं पे सवाल खड़ा करते हैं। चाहे वे लोगों को भ्रम डाल रहे हो या फिर वे अपने अधिकार को न जानते हुए खुद भ्रम में हो, तो भी उनपर सवाल उठना लाजिमी है।
बता दें कि जनगणना कराने से संबन्धित सभी अधिकार केन्द्र सरकार को प्राप्त है। ऐसे में नेता जी का लोगों के साथ यह खेल वैसे ही है जैसे “कही पे निगाहें कही पे निशाना”। इनका एजेंडा साफ झलक रहा है कि निगाहें चुनाव में फतह करने का है और निशाना जातिगत जनगणना को बनाया जा रहा है। CID मूवी का ये गाना कभी शमशाद वेगम के स्वरों की पहचान बनी। जो आज नेताओं को अपनी गोंटी सेकने के काम आ रही है। हांलाकि ये दोनों अलग-अलग विधाओं से है। लेकिन कुछ हद तक एक दूसरे के उदाहरण को बताने के लिए काफी हैं।
जानिए कौन करा सकता है जनगणना
जनगणना अधिनियम 1948 के अनुसार, राज्य क्षेत्रों या उसके किसी भाग में जनगणना कराने का अधिकार केन्द्र सरकार को ही है। अधिनियम की धारा 3 के अनुसार, केन्द्र सरकार उन समस्त राज्यक्षेत्रों में या उनके किसी भाग में जिसपर इस अधिनियम (जनगणना अधिनियम 1948) का विस्तार है, जब ऐसा करना आवश्यक या वांछनीय समझे, जनगणना कराने के अपने आशय की घोषणा राज्यपत्र की अधिसूचना द्वारा कर सकेगी। उसके बाद जनगणना की जाएगी।
जनगणना कराने के लिए केन्द्र को संविधान से प्राप्त शक्ति
भारतीय संविधान की अनुच्छेद 246 केन्द्र के दायित्व और उनके अधिकार क्षेत्र को निर्धारित करता है। जिससे संविधान की सातवीं अनुसूची में दिए गए प्रावधानों के अनुसार जनगणना कराने का अधिकार केंद्र सरकार को है।
केन्द्र सरकार के आधीन कार्य करते हैं जनगणना के मुख्य अधिकारी
बता दें कि जनगणना संगठन, केन्द्रीय गृह मंत्रालय के आधीन कार्य करता है। जिसका मुख्य अधिकारी भारत का महापंजीयक एवं जनगणना आयुक्त होता है। इन्हीं के माध्यम से देश भर में जनगणना संबन्धित कार्यों को निर्देशित किया जाता है।