15 दिसम्बर 2024, लखनऊ। ब्रेकथ्रू साइंस सोसाइटी का उत्तर प्रदेश तीसरा राज्य सम्मेलन रविवार को यूपी प्रेस क्लब लखनऊ में संपन्न हुआ। इस सम्मेलन में परिचर्चा का प्रमुख विषय ‘जलवायु एवं पर्यावरण परिवर्तन’ था जिसमें प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. सी.एम. नौटियाल, प्रोफेसर सरजीत सेन शर्मा, डॉ. इष्ट विभु, डॉ. वाई.पी. सिंह और श्री राजकमल श्रीवास्तव आदि शामिल हुए।
अपने व्याख्यान में कार्यक्रम के प्रमुख वक्ता वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. चंद्र मोहन नौटियाल ने जलवायु परिवर्तन को तीस वर्षों के मौसम के औसत की तरह परिभाषित करते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन कोई नई बात तो नहीं है। लगभग 25 एवं 40 करोड़ वर्ष पूर्व जितनी चरम परिस्थितियाँ पृथ्वी के साढ़े चार अरब वर्ष के इतिहास में कभी नहीं रहीं। थोड़े से बड़े समय के पैमाने पर देखें तो यह काल तुलना में सबसे सुखद लगेगा। परंतु मानव की दृष्टि से तो एक-दो डिग्री का तापमान बढ़ना ही हिमगलन एवं समुद्र के तल को बढ़ा कर विशेषतः तटीय क्षेत्रों के लिए गंभीर आपदा को जन्म देता है। लेकिन इसके अप्रत्यक्ष प्रभाव भी कम खतरनाक नहीं हैं। इस बर्फ एवं समुद्र के जल में घुली कार्बन डाइ-ऑक्साइड जैसी गैस ताप बढ़ने पर निकल कर वातावरण को और खराब और फिर गर्म कर देती हैं। भारत में सौर, पवन जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा दिया जा रहा है। सी एन जी आदि की लोकप्रियता बढ़ी है। हाइड्रोजन जैसे विकल्पों एवं फ्यूल सेल जैसी प्रौद्योगिकियों एवं सागर की तलहटी से मीथेन खनन की योजनाओं पर भी काम जारी है। पराली जैसी सामग्री से इथेनॉल बनाने में भी सफलता मिली है। लेकिन परिस्थितियाँ जटिल हैं। शायद कृत्रिम मेधा (ए.आई.) से भी समाधान के लिए सहायता लेनी पड़े! जिन देशों के पास कोयला और तेल हैं, वे उनको जलाना बंद या कम नहीं कर रहे। ऐसे कारणों से वर्ष 2030 वाले दशक तक तापमान वृद्धि औद्योगिक काल के पूर्व के ताप से डेढ़ डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने एवं 1950 तक उत्सर्जित एवं सोखी गई ग्रीन हाउस गैस को बराबर करने (नेट जीरो) के लक्ष्य पूरे होने कठिन लग रहे हैं। लेकिन इसका सीधा अर्थ है कि हम मानव जाति को उस रास्ते पर धकेल रहे हैं जिससे लौट कर आना असंभव हो सकता है। आने वाले कुछ वर्ष हमारा भविष्य तय करेंगे। इन मुद्दों पर पूरे विश्व को एक होना होगा। अभी तक पृथ्वी पर ही जीवन मिला है और हमारा कोई और ठिकाना नहीं है।
कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए ब्रेकथ्रू साइंस सोसायटी के राष्ट्रीय कार्यकारणी सदस्य चंचल घोष ने कहा जलवायु परिवर्तन के ख़राब प्रभाव को रोकने के लिए हमें एक साथ काम करना होगा। निवेश नीति पर फिर से विचार करना होगा और इंडस्ट्रियल पॉलिसी को पर्यावरण के अनुकूल बनाना होगा। समाज से कुसंस्कार, रुढ़िवादी भावना को दूर करने के लिए शिक्षा के पाठ्यक्रम को वैज्ञानिक ढंग से तैयार करना चाहिए। समाज में वैज्ञानिक मानसिकता एवं चेतना का विकास एवं प्रसार जरूरी है।
कार्यक्रम में प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुये प्रोफेसर सरजीत सेन शर्मा ने एक स्वैच्छिक वैज्ञानिक संगठन के महत्व और उसकी भूमिका पर चर्चा करते हुये इसे संजीदगी के खड़ा करने की आवश्यकता पर बल दिया। सम्मेलन में प्रदेश के विभिन्न जिलों, अयोध्या, मऊ, ग़ाज़ीपुर, महाराजगंज, हरदोई, लखीमपुर खीरी, सुल्तानपुर, बाराबंकी और लखनऊ से विज्ञान व वैज्ञानिक मानसिकता को बढ़ावा देने वाले प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस कार्यक्रम के ज़रिए प्रतिनिधियों को 8-10 फ़रवरी 2025 को केरल राज्य के तिरुअनंतपुरम शहर में होने वाले ब्रेकथ्रू साइंस सोसाइटी के तीसरे अखिल भारतीय सम्मेलन को शानदार ढंग से सफल बनाने में अपनी पूरी क्षमता के साथ सहयोग देने और उसमें शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया।
इस राज्य सम्मेलन का संचालन ब्रेकथ्रू साइंस सोसायटी के उत्तर प्रदेश राज्य प्रभारी और राष्ट्रीय कार्यकारणी सदस्य इंजी. जय प्रकाश ने किया। सम्मेलन में सत्ताईस सदस्यीय एक नई प्रदेश समिति का चुनाव हुआ जिसमें डॉक्टर चंद्र मोहन नौटियाल को प्रदेश अध्यक्ष एवं इंजी. जयप्रकाश को प्रदेश सचिव चुना गया।