कोलकाता। पश्चिम बंगाल की राजनीति हमेशा देश की राजनीति से एकदम अलग रहती है। यहां होने वाले घटनाक्रम हमेशा राजनीतिक दिशा तय करते है।आज बंगाल के हालात ठीक वैसे है जैसे 2006 में सिंगूर आंदोलन के दौरान थे। उस दौर में भी वाम मोर्चे की सरकार के खिलाफ समाज के हर वर्ग में नाराजगी थी। जब चुनाव हुए तो लोकप्रिय वाम मोर्चे को जनता ने बाय-बाय बोल दिया। अब कुछ हालात ममता बनर्जी के साथ हो रहा है।
जैसे उनका राजनीति में उदय हुआ था, वैसे ही अंत हो रहा है। ममता बनर्जी की लाख कोशिश के बाद भी वह जूनियर डॉक्टरों को मना नहीं पा रही हैं, उन्होंने खुद गुरुवार को अपने इस्तीफे की पेशकश की, वहीं पार्टी में भी उनकी कार्यशैली से नाराजगी बढ़ने लगी है। इसी क्रम में टीएमसी सांसद जवाहर सरकार ने पार्टी से इस्तीफा देने के बाद गुरुवार को राज्यसभा की सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया। उन्होंने उपराष्ट्पति जगदीप धनखड़ से मुलाकात कर अपना इस्तीफा सौंपा।
एक्स पर पोस्ट की तस्वीर
उपराष्ट्रपति को इस्तीफा सौंपने की तस्वीर सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर साझा करते हुए सरकार ने लिखा कि सर, मेरा समय समाप्त हो गया। आज संसद भवन में उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति को सांसद के रूप में अपना इस्तीफा सौंप दिया। अब मैं बोलने और लिखने के लिए स्वतंत्र हूं। अब मैं तानाशाही, सांप्रदायिकता और भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी लड़ाई को और मजबूत करूंगा।
ममता बनर्जी को बड़ा झटका
नौकरशाह से राजनीतिज्ञ बने सरकार की बतौर ईमानदार और बेबाक नेता के रूप में राज्य में काफी प्रतिष्ठा है। उन्होंने न सिर्फ प्रशिक्षु महिला चिकित्सक मामले में सीएम ममता बनर्जी की भूमिका पर सवाल उठाए, बल्कि राज्य सरकार और पार्टी में बढ़ते भ्रष्टाचार को लेकर भी लगातार निशाना साधा है।
इसलिए छोड़ी पार्टी
बता दें जवाहर सरकार ने 8 सितंबर को ममता बनर्जी को पत्र लिखकर पार्टी छोड़ने और राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने का फैसला किया था। उन्होंने राजनीति छोड़ने का एलान भी किया था। भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के सेवानिवृत्त अधिकारी जवाहर सरकार ने दावा किया था कि पार्टी नेताओं के एक वर्ग का भ्रष्टाचार में शामिल है। उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा रही है। यह फैसला लेने के पीछे सबसे बड़ी वजह यही है।सरकार ने पत्र में कहा था कि आरजी कर अस्पताल में हुई भयावह घटना के बाद एक महीने तक मैंने धैर्यपूर्वक पीड़ा सही। मैं उम्मीद कर रहा था कि ममता बनर्जी अपनी पुरानी शैली में आंदोलनकारी जूनियर डॉक्टर्स से बात करेंगी, पर ऐसा नहीं हुआ और सरकार अब जो भी दंडात्मक कदम उठा रही है, वह बहुत अपर्याप्त और काफी देर से उठाए जा रहे हैं।
इसे भी पढ़ें…