लखनऊ। लोकसभा चुनाव से पहले इंडिया गठबंधन पूरी तरह बिखरता नजर आ रहा है। वजह बनेगी सपा मुखिया अखिलेश यादव की महत्वाकांक्षा, क्योंकि उन्होंने अपने हिसाब से सहयोगियों को सीट आफर की है। कहने को तो रालोद को सात सीट दी है, लेकिन उसे तीन प्रत्याशी ही उतारने का अधिकार दिया है। वहीं कांग्रेस को 11 सीट देने की बात कह रहे है, जहां जीत के चांस कम है। ऐसे में यूपी कांग्रेस की जमीन कैसे मजबूत होगी, यह सबसे बड़ा सवाल हैं। इसी को देखते हुए कांग्रेसी बसपा प्रमुख से गठबंधन के फिराक मे है तो बसपा। भाजपा रालोद को अपने पाले में लाकर अपनी स्थिति मजबूत करना चाहते है।
दीदी कांग्रेस को नहीं दे रही भाव
इंडिया गठबंधन को सबसे पहले पश्चिम बंगाल में झटका लगा। टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी केवल दो सीट कांग्रेस को देना चाहती थी, उसे भी अब वह देने के मूड में नहीं है। इतने बड़े राज्य में कांग्रेस खाली हाथ नहीं रहना चाहती। वहीं तृणमूल कांग्रेस के कुछ नेताओं ने राहुल गांधी की न्याय यात्रा को ‘अन्याय यात्रा’ तक करार दे दिया है। देश के सबसे बड़े राज्य यूपी में सपा और कांग्रेस दोनों के ही प्रमुख नेताओं के मुताबिक, दोनों पार्टियों के बीच रिश्ते सहज नहीं चल रहे हैं। कांग्रेस को सीटें देने से पहले प्रत्याशी के नाम बताने की शर्त भी पसंद नहीं आ रही है। कांग्रेस का कहना है कि उनके यहां किसी प्रत्याशी का नाम एक निश्चित प्रक्रिया के तहत तय किया जाता है।
कांग्रेस के गढ में सपा ने उतारे प्रत्याशी
उस प्रक्रिया को अपनाये बिना नाम नहीं दिया जा सकता। फिर सपा ने फर्रुखाबाद जैसी लोकसभा सीट पर भी प्रत्याशी उतार दिया है, जहां से बातचीत की प्रक्रिया में शामिल पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद टिकट के दावेदार हैं। इसी तरह से लखीमपुर खीरी में भी उसके दावे पर विचार नहीं किया।कांग्रेस ने अपनी पहली वरीयता वाली 26 सीटों के नाम बातचीत के दौरान दिए थे, इन सब सीटों पर स्थिति स्पष्ट किए बिना सीटों की घोषणा कांग्रेस नेतृत्व को रास नहीं आ रही है। राजनीतिक सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस की बसपा से दो स्तरीय बातचीत फिर से शुरू हुई है। इसका कोई भी नतीजा लोकसभा चुनाव के ऐन वक्त पर ही सामने आएगा।
रालोद के राष्ट्रीय प्रवक्ता अनिल दुबे का कहना है कि रालोद अपने सिद्धांतों पर अडिग है। इंडिया गठबंधन में शामिल है, जिसके तहत 1-2 और सीटें दिए जाने पर विचार चल रहा है। शीघ्र ही रालोद को दी जाने वाली सीटों को चिह्नित भी कर लिया जाएगा। भाजपा इंडिया गठबंधन से डरी हुई है, इसलिए रालोद के इंडिया गठबंधन से अलग होने की अफवाह फैला रही है।
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