अयोध्या। धर्मनगरी अयोध्या बने भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर में मंगलवार से प्राण प्रतिष्ठा के अनुष्ठान शुरू हो गए। दूसरे दिन आज प्रभु की प्रमिता मंदिर की परिक्रमा करेगी। तीसरे दिन रामलला की प्रतिमा गर्भगृह में निर्धारित आसन पर स्थापित कर दी जाएगी। पिछले 70 वर्षों से पूजित वर्तमान प्रतिमा को भी नए मंदिर के गर्भगृह में ही रखा जाएगा। 22 को अयोध्या में रामलला मंदिर में विराजमान होंगे। इस दिन प्राण प्रतिष्ठा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल होंगे।
बिस्तर का भी त्याग करेंगे पीएम
यम नियम के मुताबिक पीएम प्राण प्रतिष्ठा से तीन दिन पहले सामान्य बिस्तर का त्याग कर देंगे। प्राण प्रतिष्ठा वाले दिन तक वह लकड़ी की चौकी पर कंबल बिछा कर सोएंगे। 11 दिनों के यम नियम में पीएम को हर दिन शास्त्रों के मुताबिक अलग-अलग कार्य करने होंगे। इसी नियम के तहत पीएम को अंतिम तीन दिन अन्न त्याग कर सिर्फ फलाहार पर निर्भर रहना होगा। उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष निर्मल खत्री ने कहा कि राम जन्मभूमि ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय के व्यक्तिगत निमंत्रण के सम्मान में, मैं 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम में भाग लूंगा।
जटायु की मूर्ति पूजा करेंगे पीएम मोदी
प्राण प्रतिष्ठा के लिए यम नियमों का पालन कर रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राममंदिर परिसर में बने जटायु की मूर्ति की पूजा करेंगे। बता दे कि इस मूर्ति की स्थापना विशेष रूप से मंदिर आंदोलन में अपना जीवन न्योछावर करने वाले बलिदानियों की याद में लगाई गई हैं। पूजा के समय कारसेवा में शहीद हुए बलिदानियों के परिजन भी मौजूद रहेंगे। इसी दिन मोदी मंदिर निर्माण में जुटे मजदूरों के साथ संवाद भी करेंगे।
यम नियम के तहत पीएम मोदी शुक्रवार से ही व्रत और कई नियमों का पालन कर रहे हैं। 12 जनवरी से एक समय के उपवास पर हैं। प्राण प्रतिष्ठा से तीन दिन पहले उनका व्रत व संयम और कठिन हो जाएगा। विहिप सूत्रों के मुताबिक यम नियम और पूजा पद्धति के मुताबिक पीएम 19 से 21 जनवरी तक पूर्ण रूप से फलाहार पर निर्भर रहेंगे। प्राण प्रतिष्ठा वाले दिन उन्हें पूर्ण उपवास करना होगा। इस दौरान शास्त्रों के नियमों के मुताबिक वे चुनिंदा मंत्रों का जाप करेंगे।
डॉ.अनिल मिश्र होंगे मुख्य यजमान
प्राण प्रतिष्ठा का मुख्य यजमान का सौभाग्य प्राप्त करने वाले डॉ.अनिल मिश्र श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य हैं। वे 1979 से संघ से जुड़े हुए हैं। मूलरूप से अंबेडकरनगर के ग्राम पतोना निवासी हैं। जौनपुर के पीडी बाजार स्थित जयहिंद इंटर कॉलेज से माध्यमिक स्तर की पढ़ाई की। फिर डॉ. बृजकिशोर होम्योपैथिक कॉलेज में पढ़ने फैजाबाद आ गए। डॉक्टरी की पढ़ाई में कुछ दिन ही बीते थे कि होम्योपैथी को एलोपैथी के समानांतर प्रतिष्ठा दिलाने का आंदोलन छिड़ गया। अनिल मिश्र भी आंदोलन में कूद पड़े, जिसके चलते उन्हें जेल तक जाना पड़ा।रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के मुख्य यजमान डॉ. अनिल मिश्र 11 दिनों तक नियम-संयम का पालन करेंगे। वे दस दिनों तक सिला हुआ सूती वस्त्र नहीं पहनेंगे।
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