बांकेबिहारी कॉरिडोर के पक्ष में आया व्यापारी वर्ग, कहा- सरकार निर्माण कराए भ​क्त दे देंगे 510 करोड़ रुपये

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The business class came in favor of Banke Bihari Corridor, said - devotees will give Rs 510 crore if the government builds it.
मंदिर के पैसे से मंदिर की व्यवस्था बनाई जा रही है। इस पर कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए।

प्रयागराज। प्रदेश सरकार धार्मिक स्थलों को विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध अयोध्या, काशी, विन्ध्याचल के बाद कई धार्मिक स्थलों को कायाकल्प की तैयारी है। इस बीच आगर के व्यापारी प्रखर वर्मा ने एक कदम आगे बढ़ाते हुए कहा कि सरकारमथुरा वृंदावन बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर का निर्माण कराए।व्यापारी वर्ग चंदा एकत्र करके कॉरिडोर में लगने वाले 510 करोड़ रुपये देने के लिए तैयार हैं। जिसमें, से 100 करोड़ रुपये एक महीने में जमा कर देंगे।

मंदिर के पैसे को लेकर विवाद

इस पर कोर्ट ने यूपी सरकार के अधिवक्ता ने पूछा कि आप मंदिर का पैसा चाहते ही क्यों हैं। क्या, सरकार के पास पैसे की कमी है। अगर सरकार के पास पैसे की कमी नहीं है तो सारे विवाद का हल हो गया। दरअसल सरकार मंदिर के पैसे से विकास कराना चाहती है, जबकि मंदिर प्रबंधन अपने कोश में जमा धन को देने को तैयार नहीं है। इस​ विवाद को खत्म करने के लिए व्यापारी वर्ग ने कोर्ट में अर्जी देकर पैसे किल्लत खत्म करने के लिए आगे आया है।

महाधिवक्ता अजय कुमार मिश्रा और अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने कहा कि लोक शांति और व्यवस्था के लिए सरकार ने प्रस्तावित योजना तैयार की है। मंदिर के पैसे से मंदिर की व्यवस्था बनाई जा रही है। इस पर कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। अनंत शर्मा की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर मुख्य न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ सुनवाई कर रही है।

मंदिर प्रबंधन नहीं देना चाहता धन

सेवायतों की ओर से कहा गया कि सरकार मंदिर की सुविधा बढ़ाना चाहती है, इस पर उन्हें कोई आपत्ति नही है। लेकिन, इस काम के लिए मंदिर के पैसे का इस्तेमाल करना चाहती है। अधिवक्ता संजय गोस्वामी ने याचिका की पोषणीयता पर सवाल उठाया। कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि तथ्य को लेकर कोई भी याचिका पोषणीय नहीं है। उसमें कानूनी सवाल होना जरूरी है। लिहाजा, याचिका पोषणीय नहीं है।

याची अधिवक्ता श्रेय गुप्ता ने कहा कि वर्तमान समय में मंदिर प्रबंधन समिति ही नहीं है। विवाद सिविल अदालत में विचाराधीन है। कहा कि आर्टिकल-25 और 26 में धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार है, किंतु सरकार उचित हस्तक्षेप कर सकती है। इस पर कोर्ट ने जानना चाहा कि योजना लागू की जाती है तो मंदिर का प्रबंधन किसके हाथ होगा। हालांकि, सरकार की ओर से इस सवाल का जवाब नहीं दिया गया। मामले में अगली सुनवाई 11 अक्टूबर को होगी।

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