लखनऊ। सूबे की सियासत में अखिलेश यादव व शिवपाल यादव का नाम एकाएक फिर सुर्खियों में है। सोमवार को अचानक चाचा शिवपाल व भतीजे अखिलेश के बीच एक मुलाकात ने सियासी चर्चाओं का बाजार गर्मा दिया। दरअसल सपा संस्थापक व पार्टी संरक्षक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद चाचा—भतीजे के दिलों में बनी दूरियां घटती चली गई।
वहीं मैनपुरी लोकसभा उप चुनाव को लेकर शिवपाल और अखिलेश एक पाले में नजर आए। यहां से डिम्पल यादव की बंपर जीत ने अखिलेश को और भी गदगद कर दिया। जिसके बाद से आएदिन चाचा—भतीजे को लेकर तमाम कयास लगाए जाने लगे। लेकिन मैनपुरी चुनाव परिणाम के बाद से अब तक अखिलेश और शिवपाल के बीच सियासी मुलाकात नहीं हो पाई थी।
सियासी अटकलें हुई तेज
वहीं सोमवार को दोनों नेताओं की करीब एक घंटा 15 मिनट तक चली मुलाकात ने यूपी की सियासत में चर्चाओं का बाजार फिर गर्म कर दिया। तमाम चर्चाओं के बीच लखनऊ में शिवपाल यादव के आवास पर यह बैठक चली। बताया जा रहा है कि इसमें जहां सूबे की राजनैतिक गतिविधियों पर चर्चा हुए तो वहीं संगठन विस्तार को लेकर भी बात हुई। सूत्रों के मुताबिक इस मुलाकात में आदित्य यादव को पार्टी में अहम जिम्मेदारी देने के विषय पर भी बात हुई है।
वहीं मुलाकात के बाद अखिलेश यादव अपने काफिले के साथ सीधे अपने आवास चले गए। बताया जा रहा है कि मैनपुरी उपचुनाव में सपा की भारी मतों से जीत के बाद अखिलेश यादव चाचा शिवपाल का साथ किसी भी सूरत में खोना नहीं चाहते हैं। जिसके चलते ही सोमवार को अचानक अखिलेश शिवपाल के घर पहुंचे और सपा के संगठन को मजबूत करने के लिए जमीनी लेवल पर चर्चा की।
दो तरह की रणनीति पर काम कर रही सपा
चर्चा है कि मुलाकात के बीच शिवपाल को पार्टी में अहम भूमिका निभाने के साथ ही उनके बेटे आदित्य यादव को पार्टी में अहम पद देने के बिंदु पर भी बातचीत हुई है। हालांकि अभी तक इसको लेकर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं हुआ है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज है कि सपा अपने वोट बैंक को बढ़ाने के लिए हर वर्ग और जाति को जोड़ने की रणनीति पर काम कर रही है।
पार्टी से जुड़े एक कार्यकर्ता के अनुसार, पार्टी के पदाधिकारी सिर्फ वर्ग विशेष नहीं हर जाति के लोगों से मिलकर ग्राउंड लेवल पर काम कर रहे है। इसके साथ ही चाचा शिवपाल के राजनैतिक अनुभव और उनकी यादव बेल्ट में पकड़ का फायदा उठाया जाएगा।
बताया गया कि इसके लिए यादव बाहुल्य सीट इटावा, मैनपुरी, एटा, फिरोजाबाद, औरैया, फर्रुखाबाद और कन्नौज के लिए अलग से रणनीति तैयार हो रही है। वहीं आजमगढ़, रामपुर, बिजनौर, गाजीपुर और पश्चिमी यूपी को लेकर अलग तरह की रणनीति बनाई जा रहीं है।
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