- विज्ञान और समाज में अहम योगदान देने के लिए छह लोगों को पुरस्कृत किया गया
- दिल्ली की प्रो. रोहिणी पांडेय ने सोशल साइंस के क्षेत्र में बेहतरीन योगदान के लिए जीता इंफोसिस प्राइज़ 2022
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। इंफोसिस साइंस फाउंडेशन (आईएसएफ) ने छह श्रेणियों- इंजीनियरिंग एवं कंप्यूटर साइंस, ह्यूमैनिटीज़, लाइफ साइंस, मैथमैटिकल साइंस, फिजिकल साइंस और सोशल साइंस, में इंफोसिस प्राइज़ 2022 के विजेताओं की घोषणा की। इंफोसिस प्राइज़, पुरस्कार विजेताओं की उपलब्धियों का उत्सव मनाता है और विज्ञान व शोध के क्षेत्र में उनके अहम योगदान के लिए पुरस्कृत करता है, जिसका असर देश पर पड़ता है। इस प्राइज़ में विजेता को स्वर्ण पदक, प्रशस्ति पत्र और 1,00,000 डॉलर (या रुपये में इतनी ही राशि) की राशि दी जाती है। इस कार्यक्रम का आयोजन बेंगलुरू में इंफोसिस साइंस फाउंडेशन के नए कार्यालय में किया गया।
उपलब्धियों को सम्मानित किया
दुनिया भर के जाने-माने विद्वानों और विशेषज्ञों के साथ बने निर्णायक मंडल ने नामांकन देने वाले 218 लोगों में से इंफोसिस प्राइज़ 2022 के विजेताओं का चुनाव किया। पिछले तेरह वर्षों के दौरान इंफोसिस साइंस फाउंडेशन (आईएसएफ) ने उन कुछ सबसे अच्छे और रचनात्मक वैज्ञानिक शोध की उपलब्धियों को सम्मानित किया है जिसने मानव जीवन के हर पहलू में योगदान दिया है।
इन बेहतरीन शोधार्थियों को सम्मानित करने में आईएसएफ का उद्देश्य न सिर्फ उनकी व्यक्तिगत उपलब्धियों को पहचान दिलाना है, बल्कि फाउंडेशन युवाओं को करियर के तौर पर विज्ञान और शोध के विकल्प को चुनने के लिए प्रेरित करना है। इंफोसिस प्राइज़ विजेताओं में दो नोबेल पुरस्कार विजेता, दो फील्ड मेडल विजेता, एक मैकऑर्थर फेलो और ऐसे अनेक लोग शामिल हैं जो अकादमिक क्षेत्र और सरकार में उच्च पदों पर रह चुके हैं। इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने वाले लोगों में इंफोसिस साइंस फाउंडेशन के ट्रस्टी- श्री कृष गोपालकृष्णन, श्री नारायण मूर्ति, श्री श्रीनाथ बाटनी, श्री के. दिनेश, श्री मोहनदास पई, श्री सलिल पारेख और श्री एस.डी. शिबूलाल शामिल रहे।
आधारभूत मानवाधिकारों को पूरा करना
कृष गोपालकृष्णन, प्रेसिडेंट, इंफोसिस साइंस फाउंडेशन ने कहा, “इंफोसिस प्राइज़, विद्वानों की पहचान कर और उन्हें पुरस्कृत कर भारत में बेहतरीन शोध को बढ़ावा दे रहा है। यह पुरस्कार जीतने वाले लोग मानवीय ज्ञान में बढ़ोतरी कर रहे हैं, वहीं उनके काम का हर जगह असर पड़ रहा है। हमें उम्मीद है कि उनके काम का व्यापक असर न सिर्फ हमारी मौजूदा समस्याओं का हल करने पर पड़ेगा, बल्कि मानवता के समक्ष मौजूद अस्तित्व संबंधी संकट का समाधान तलाशने में भी उनके काम असरदार साबित होंगे। इन समस्याओं में जलवायु परिवर्तन, डायग्नॉस्टिक्स और स्वास्थ्यसेवाएं, मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी चुनौतियां, आधारभूत मानवाधिकारों को पूरा करना और अन्य चीज़ें शामिल हैं।”
शोधार्थी ही अग्रिम पंक्ति
भारत में विज्ञान एवं शोध की फंडिंग के महत्व के बारे में नारायण मूर्ति, संस्थापक – इंफोसिस, ट्रस्टी – इंफोसिस साइंस फाउंडेशन ने कहा, “यह बहुत ही ज़रूरी है कि सरकार और निजी क्षेत्र, विज्ञान एवं शोध के क्षेत्र में और अधिक निवेश करें। कई समस्याओं का समाधान करते हुए आगे बढ़ने का यह सबसे अच्छा तरीका है जो देश के तौर पर और मानवता के नाते हमारे सामने हैं। हमारी बड़ी समस्याओं के खिलाफ इस लड़ाई में ये शोधार्थी ही अग्रिम पंक्ति के योद्धा हैं। इसलिए हमें उन्हें प्रोत्साहित करना चाहिए। इंफोसिस प्राइज़ के विजेताओं ने देश और दुनिया के सामने मौजूद समस्याओं का समाधान तलाशने की इच्छा से बहुत ही उपयोगी काम किया है।”
छह श्रेणियों में इंफोसिस प्राइज़ 2022 के विजेता इस प्रकार हैं:
इंजीनियरिंग एवं कंप्यूटर साइंस
इंजीनियरिंग एवं कंप्यूटर साइंस के क्षेत्र में इंफोसिस प्राइज़ 2022 सुमन चक्रवर्ती को दिया गया जो भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, खड़गपुर में मैकेनिकल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर और शोध एवं विकास के डीन हैं। यह पुरस्कार उन्हें माइक्रो और नैनोस्केल पर फ्लूइड मैकेनिक्स, इंटरफेशियल फीनॉमिना और इलेक्ट्रोमैकेनिक्स के इंटरैक्शन के बारे में व्याख्या करने के लिए दिया गया। इस व्याख्या का इस्तेमाल करके सेंसिंग, डायग्नॉस्टिक्स और थेराप्यूटिक्स के लिए कम लागत वाले मेडिकल डिवाइसों के प्रयासों के माध्यम से सीमित संसाधनों की व्यवस्था में आधुनिक स्वास्थ्यसेवा क्षेत्र में मदद की है।
ह्यूमैनिटीज़
ह्यूमैनिटीज़ के क्षेत्र में इंफोसिस प्राइज़ 2022 सुधीर कृष्णास्वामी, कुलपति, नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सटी, बेंगलुरू को दिया गया। यह पुरस्कार उन्हें भारतीय संविधान की गहन समझ के लिए दिया गया और खास तौर पर 1973 में उच्चतम न्यायालय द्वारा स्वीकार किए गए महत्वपूर्ण “आधारभूत ढांचे के सिद्धांत” के महत्व के बारे में की गई उनकी व्याख्या के लिए। यह सिद्धांत संविधान को संशोधित करने के विभिन्न प्रयासों का मार्गदर्शन करता है और उन पर उचित रोक लगाता है, साथ ही भारत के राजनीतिक जीवन में कार्यकारी और विधायिका संबंधी विषयों में स्थिरता सुनिश्चित करता है।
लाइफ साइंसेज़
लाइफ साइंसेज़ के क्षेत्र में इंफोसिस प्राइज़ 2022 विदिता वैद्य, प्रोफेसर, न्यूरोबायोलॉजी, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च, मुंबई को तनाव और अवसाद जैसे मूड से जुड़ी गड़बड़ियों के बारे में जानकारी देने वाले ब्रेन मैकेनिज़्म की समझ विकसित करने में योगदान देने के लिए दिया गया है। उनके काम में जीवन के तनाव की वजह से व्यवहार में होने वाले बदलावों में न्यूरोट्रांसमीटर से मिलने वाले सिग्नल और मस्तिष्क की कोशिकाओं में ऊर्जा के विनियमन में सेरोटॉनिन की भूमिका के बारे में जानकारी भी शामिल है। महामारी के बाद के दौर में जब मानसिक स्वास्थ्य पर लोगों का ध्यान पहले से कहीं अधिक हो गया है, ऐसे में प्रोफेसर वैद्य का काम बहुत ही प्रासंगिक हो जाता है।
मैथमैटिकल साइंसेज़
मैथमैटिकल साइंसेज़ के क्षेत्र में इंफोसिस प्राइज़ 2022 महेश काकड़े, प्रोफेसर, मैथमैटिक्स, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बेंगलुरू को एल्जेबरिक नंबर थ्योरी में उनके योगदान के लिए दिया गया। नॉन-कम्युटेटिव लवासावा मेन कंजंक्चर के बारे में प्रोफेसर काकड़े का काम, ग्रॉस-स्टार्क कंजंक्चर (समित दासगुप्ता और केविन वेंटुलो के साथ) पर उनका काम, ब्रमर-स्टार्क कंजंक्चर (समित दासगुप्ता के साथ) पर उनका काम आधुनिक नंबर थ्योरी के बेहतरीन कंजंक्चर के ईर्दगिर्द ही है। आम तौर पर जिसे मैथमैटिक्स की क्वीन कहा जाता है यानी नंबर थ्योरी संख्याओं के बीच संबंधों का अध्ययन करती है और इसका व्यावहारिक उपयोग क्रिप्टोग्राफी जैसे क्षेत्रों में किया जाता है।
फिज़िकल साइंसेज़
फिज़िकल साइंस के क्षेत्र में इंफोसिस प्राइज़ 2022 निसिम कानेकर, प्रोफेसर, नेशनल सेंटर फॉर रेडियो एस्ट्रोनॉमी, पुणे को तथाकथित “हाई नून” पीरियड में गैलेक्सी के बारे में उनके अध्ययन के लिए दिया गया। इस पीरियड में सितारे अधिकतम दर पर बनते हैं। इसके अलावा, सावधानीपूर्वक खगोल वैज्ञानिक जांच ने बेहतर स्ट्रक्चर कॉन्सटैंट और इलेक्ट्रॉन-टू-प्रोटॉन मास रेशियो के संभावित सेक्यूलर वैरिएशन पर सबसे मज़बूत लिमिट लगाई है। प्रोफेसर कानेकर के काम ने भारत के रेडियो एस्ट्रोनॉमी क्षमताओं को दुनिया के मानचित्र पर जगह दिलाई है।
सोशल साइंसेज़
सोशल साइंसेज़ के क्षेत्र में इंफोसिस प्राइज़ 2022 रोहिणी पांडेय, हेनरी जे. हाइंज 2 प्रोफेसर, इकोनॉमिक्स एवं डायरेक्टर, इकोनॉमिक ग्रोथ सेंटर, येल यूनिवर्सटी को शासन एवं जवाबदेही, महिलाओं के सशक्तिकरण, गरीबों के जीवन में ऋण के महत्व और पर्यावरण समेत महत्वपूर्ण विषयों के बारे में उनके बेहतरीन शोध के लिए दिया गया। अलग-अलग तरीकों पर आधारित उनकी व्यापक जानकारी से भारत समेत उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं में नीतियां तय करने के लिहाज़ से बड़े वादे दिखते हैं और संभावनाएं दिखाई देती हैं। चूंकि जलवायु से जुड़ी चुनौतियों, सामाजिक न्याय से जुड़े विषयों और न्यायपूर्ण व समतावादी समाज के ज़रूरी तत्वों के बारे में चर्चा पहले के मुकाबले कहीं अधिक ज़रूरी हो गई है, ऐसे में प्रोफेसर पांडेय का काम बहुत ही महत्वपूर्ण है।
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