“सभी भाषाओं के समग्र साहित्य को एक दृष्टि से देखने की आवश्यकता है”
29 सितम्बर 2022, लखनऊ। बलरामपुर गार्डन में आयोजित हो रहे राष्ट्रीय पुस्तक मेला में “हिंदुस्तानी साहित्य सभा” की ओर से कवि सम्मेलन एवम मुशायरे का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का संचालन कर रहे उर्दू साहित्य के मशहूर और मज़बूत स्तम्भ परवेज़ मलिकज़ादा ने उर्दू साहित्य सभा के बनाने के विचार पर भी रोशनी डाली और बताया कि इस समय सभी भाषाओं के लिए एक खुले मंच की ज़रूरत है, जिसको ध्यान में रखकर इस महत्वपूर्ण कदम को उठाया गया।कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे मशहूर शायर खालिद फतेहपुरी ने उर्दू और हिंदी के साथ सिंधी भाषा के साहित्य पर संगोष्ठी करने का विचार रखा और कहा कि सभी भाषाओं के साहित्य के संरक्षण के साथ इनका प्रोत्साहन हम सबकी ज़िम्मेदारी है।
हिंदुस्तानी साहित्यसभा के संयोजक हफ़ीज़ क़िदवई ने कहा,जिस तरह हम, लोगों को धर्मो और जातियों के नाम पर एक करके देश की एकता की बात करते हैं, ऐसे ही भाषाओं के नामपर भी एकता बनाने की आवश्यकता है। हर भाषा के साहित्य को सम्मान देने की ज़रूरत है।
कार्यक्रम में उर्दू शायरी और हिन्दी कविता पर बातचीत भी हुई और बहुत से बड़े प्रभावी कवि और शहर के जाने माने शायरों ने अपना कलाम पेश किया।
जिनमें प्रमुख रूप से कुँवर कुशमेष जी, अबरार लखनवी साहब, कवियत्री रत्ना बापुली जी,उषा अग्रवाल जी,इरशाद ख़लीली, आमिल अशरफी, संध्या सिंह, अखण्ड प्रताप सिंह, आशुतोष पांडे, अलका प्रमोद और सुधा मिश्रा जी ने हिस्सा लिया।
कार्यक्रम में आए हुए आगन्तुको और कवियों,शायरों का धन्यवाद हिंदुस्तानी साहित्य सभा के संरक्षक रामकिशोर जी ने दिया । कार्यक्रम में सक्रिय रूप से आशीष डिगडिगा ने हिस्सा लिया और आयोजन को सफल बनाया ,कार्यक्रम में पंकज विश्वजीत, मुकेश इत्यादि ने महत्वपूर्ण योगदान दिया।