रिश्तों में कड़वाहट: बड़े दिनों के बाद चाचा-भतीजा साथ बैठे, लेकिन नहीं मिला सकें नजरें

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Bitterness in relationships: Uncle-nephew sit together after a long time, but could not meet eyes
दोनों एक—दूसरे के पास बैठे होने के बाद भी कटे हुए नजर मिलाने से बचते नजर आए।

लखनऊ। विधानसभा चुनाव के बाद यूपी के सबसे बड़े कुनबे में जो फूट पड़ी है, वह बढ़ती ही जा रही है। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले चाचा भतीजे में जो मेल​मिलाप हुआ था, वह चुनाव खत्म होते ही फिर बढ़ गई, इसके बाद चाचा-भतीजे का आमना-सामना नहीं हुआ। इस बीच मंगलवार को जब दोनों एक-दूसरे के सामने हुए, लेकिन दोनों ने एक-दूसरे से नजरें नहीं मिला सकें। दोनों एक-दूसरे के पास बैठे होने के बाद भी कटे हुए नजर मिलाने से बचते नजर आए।

शादी समारोह में दोनों साथ-साथ बैठे

प्रदेश की राजनीति में चर्चा है कि शिवपाल सिंह यादव जल्द ही आजम खान के साथ मिलकर एक ऐसे मोर्चे का गठन कर सकते हैं, जिससे अखिलेश यादव की टेंशन और बढ़ सकती है। इस बीच, दोनों एक साथ नजर आए हैं। चाचा-भतीजे के एक साथ बैठे,लेकिन एक दूसरे से बातचीत नहीं की।

दरअसल, दोनों नेता उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी जगमोहन यादव के भतीजे की शादी में पहुंचे थे। दोनों वैवाहिक कार्यक्रम में आसपास बैठे नजर आए। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस दौरान दोनों के बीच कोई बातचीत नहीं हुई।वैसे तो इस तरह किसी शादी समारोह में नेताओं के बीच अनौपचारिक मुलाकात सामान्य बात है, लेकिन जिस तरह की कड़वाहट के बीच दोनों एक दूसरे के साथ बैठे नजर आए, उसने लोगों का ध्यान जरूर खींचा है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि इस तस्वीर से कोई सियासी मायने तलाशना ठीक नहीं है।

इसलिए बढ़ी दोनों में दूरियां

मीडिया में आई तस्वीर की चर्चा इसलिए भी अधिक हो रही है, क्योंकि हाल ही में अखिलेश यादव ने चाचा शिवपाल को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा था कि जो बीजेपी से मिल गया है वह सपा में नहीं रह सकता है। वहीं, शिवपाल भी भतीजे पर अपमानित करने का आरोप लगा चुके हैं। शिवपाल ने कहा था कि जिन्हें उन्होंने चलना सिखाया वही उन्हें रौंदता रहा। शिवपाल यादव विधानसभा चुनाव के समय से ही खुलकर नाराजगी जाहिर कर रहे हैं। यहीं कारण है दोनों मिलने के बाद भी एक-दूसरे से बात तक नहीं कर रहे है।

चर्चा थी कि शिवपाल भाजपा में शामिल हो सकते हैं। हालांकि, सीतापुर जेल में जाकर आजम खान से मुलाकात और फिर उनको लेकर जिस तरह वह सहानुभूति जता रहे हैं, उससे अटकलें लगने लगीं कि वह दिग्गज मुस्लिम नेता के साथ मिलकर कोई नया मोर्चा बना सकते हैं, जिससे सपा के ‘एमवाई’ समीकरण में सेंध लग सकती है।

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