हापुड़। यूपी के हापुड़ जिले से एक दिल दहलाने वाला मामला सामने आया, यहां एक नशेड़ी ने गुरुवार देर रात गला दबाकर पत्नी की हत्या कर दी। विवाद पत्नी के मायके जाने की इच्छा से शुरू हुआ, इतनी सी बात पर आरोपी ने उसकी जान ले ली। पत्नी की हत्या के राशिद दो घंटे तक उसके शव के साथ लेटा रहा। करीब चार बजे यूपी 112 पर फोन करके बोला मैंने Wife murdered कर दी है, घर पर ही मौजूद है आकर मुझे गिरफ्तार कर लो। यह सुनते ही कोतवाली में हड़कंप मच गया। कोतवाली थाना प्रभारी निरीक्षक मुनीष प्रताप सिंह फॉरेंसिक टीम के साथ मौके पर पहुंचे और आरोपित को गिरफ्तार कर लिया। शव को पोस्टमार्टम के लिए भिजवाया। साथ ही फॉरेंसिक टीम ने ने भी घटनास्थल का निरीक्षण कर साक्ष्य जुटाए।
पत्नी बच्चों को ले जाती तो मैं बर्बाद हो जाता
गिरफ्तारी के बाद हत्यारोपित राशिद ने बताया कि पत्नी बात-बात पर उससे विवाद करती थी। कभी मायके तो कभी किसी रिश्तेदार के यहां जाने की धमकी देती थी। जिससे वह परेशान हो चुका था। पत्नी बच्चों को लेकर चली जाती तो वह बर्बाद हो जाता। गुरुवार को उसका पत्नी से झगड़ा हुआ था। रात को अचानक उसकी आंख खुली। उसने देखा कि पत्नी आराम से सो रही है। बस इसी वक्त उसने गला दबाकर उसे मौत की नींद सुला दिया।
हत्या के बाद नाजरीन उर्फ नाजमा के दुधमुंहे बच्चे अयान का रो-रोकर बुरा हाल है। राशिद के तीनों बच्चों के सिर पर अब मां का साया नहीं रहा है। बच्चों के दादा दिव्यांग हैं। वहीं, पिता राशिद को पुलिस जेल भेज चुकी है। ऐसे में बच्चों के सामने जीवन यापन का संकट खड़ा हो गया। स्थानीय लोगों ने बताया कि नाजरीन उर्फ नाजमा का सबसे छोटा बच्चा अयान, जो अभी मात्र आठ माह का है, वह बिना अपनी मां के कैसे बड़ा होगा, यह सोचकर लोग भी भावुक हो गए।
दिव्यांग दादा चलाता है ई- रिक्शा
राशिद के पिता शेर मोहम्मद ने बताया कि कई साल पहले एक दुर्घटना में उन्होंने अपने दोनों पैर गंवा दिए थे। उनकी पुत्रियां राशिदा, साजिदा, आबिदा, गुल्लों, शाइस्ता और इकलौता बेटा राशिद है। उनकी पत्नी के देहांत के बाद रिश्तेदारों ने उनसे दूसरा निकाह करने के लिए कहा था। मगर, उन्होंने बच्चों के प्रेम के कारण निकाह नहीं किया। दिव्यांग होने के बावजूद उन्होंने ई-रिक्शा चलाकर बच्चों को पाला। सभी का निकाह कराया। अब भी वह ई-रिक्शा चलाकर परिवार का भरण पोषण करने में राशिद की मदद कर रहे थे। जो भी रुपये वह प्रतिदिन कमाकर लाते थे उन रुपयों को नाजरीन उर्फ नाजमा को थमा देते थे। ताकि, वह बच्चों को ढंग से खाना खिला सके। अब वह अकेले कैसे बच्चों का भरण पोषण करेंगे।
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