4 दिसम्बर 2024, लखनऊ। एसयूसीआई (कम्युनिस्ट) पश्चिम उत्तर प्रदेश राज्य सांगठनिक कमेटी के सचिव कामरेड विजयपाल सिंह ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि “संभल में स्थित शाही जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान घटित हिंसक घटना बहुत ही दर्दनाक है। इस घटना में चार लोगों की मृत्यु और अनेक लोग घायल हुए हैं। इस घटना को टाला जा सकता था यदि संभल जिला प्रशासन और स्थानीय अदालत विवेकपूर्ण तरीके से कार्य करते। उल्लेखनीय है कि धार्मिक स्थलों के चरित्र को लेकर कोई विवाद न हो इस बात को ध्यान में रखते हुए उपासना स्थल अधिनियम 1991 संसद द्वारा पारित किया गया। लेकिन उच्चतम न्यायालय के निवर्तमान मुख्य न्यायाधीश महोदय ने उनके निर्णय का समाज पर पड़ने वाले प्रभाव को नजरअंदाज करते हुए इस संबंध में एक विवादित निर्णय दिया। उनके निर्णय के मुताबिक धार्मिक स्थलों की पूर्व स्थिति को निर्धारित करने के लिए कार्रवाई की जा सकती है। यद्यपि उनके स्वरूप में किसी प्रकार का कोई परिवर्तन नहीं किया जा सकता। तब सवाल यह उठता है कि फिर यह निर्धारण किस लिए? किस उद्देश्य से? इस निर्णय को आधार बनाकर सारे देश और खासतौर से उत्तर प्रदेश में अनेक मस्जिदों के पूर्व मंदिर होने का दावा करने की याचिकाएं दायर की गई हैं। इसी कड़ी में संभल की स्थानीय अदालत द्वारा दूसरे पक्ष को सुने बिना मस्जिद के सर्वे का निर्णय दिया। जिला प्रशासन द्वारा असाधारण जल्दबाजी दिखाते हुए उसी दिन मस्जिद का सर्वे कराया। पुनः 24 नवम्बर को रविवार के दिन सुबह उजाला होने से पूर्व मस्जिद के सर्वे के लिए जाना लोगों के मन में शंका पैदा करने के लिए काफी था। यदि जिला प्रशासन स्थिति की गंभीरता को भांंपते हुए कार्रवाई करता तो निश्चित रूप से यह दर्दनाक घटना रोकी जा सकती थी। इस घटना की जिम्मेदारी से संभल जिला प्रशासन बच नहीं सकता। हम जनता से अपील करते हैं कि वह आपसी भाईचारा, सामाजिक सद्भाव हर कीमत पर बरकरार रखें। साथ ही सरकार से यह भी मांग करते हैं कि उपासना स्थल अधिनियम 1991 को उसकी मूल भावना के अनुरूप अक्षरसः लागू किया जाए, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। इसके साथ ही हम सरकार से मांग करते हैं कि घटना की निष्पक्ष जांच कराई जाए और घटना के लिए जिम्मेदार जिला प्रशासन के दोषी अधिकारियों सहित हिंसा के लिए जिम्मेदार अन्य सभी लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए, मृतकों के परिवार को उचित मुआवजा दिया जाए, हिंसा में घायल सभी व्यक्तियों के समुचित इलाज की व्यवस्था की जाए और निर्दोष लोगों के खिलाफ किसी भी प्रकार की दंडात्मक कार्रवाई न की जाए।
उन्होंने बताया कि इस संबंध में SUCI C की राज्य सांगठनिक कमेटी के निर्णयानुसार आगामी 10 दिसंबर 2024, मंगलवार को हर जिले में जिलाधिकारी के माध्यम से महामहिम राष्ट्रपति महोदया को ज्ञापन दिया जाएगा।”