लखनऊ। भाजपा अभी यूपी की 12 सीटों पर अपने प्रत्याशी की घोषणा नहीं कर सकीं, रणनीतिकारों का सबसे ज्यादा फोकस सपा के मजबूत किले को भेदने को है। यहां मैदान से सपा प्रमुख ने अपनी पत्नी डिंपल यादव को मैदान में उतार रखा है। डिंपल यादव को हराने के लिए रणनीतिकार गुणाभाग करने में जुटे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कई चेहरों पर विमर्श हो रहा है। जानकारों के अनुसार बीजेपी यहां से देवरानी—जेठानी के बीच जंग कराने की तैयारी में है।दरअसल मुलायम सिंह यादव की दूसरी बहू को उनके उत्तराधिकारी के तौर पर पेश करके यादव मतदाताओं को अपने पक्ष में करने की फिराक में है। वहीं शाक्य बाहुल्य सीट होने के बाद यहां शाक्य प्रत्याशी पर भी नजर दौड़ाई जा रही है।
इन सीटों पर माथापच्ची
भाजपा अपने कोटे की 75 सीटों में अब तक 63 सीटों पर उम्मीदवार घोषित कर चुकी है। शेष 12 सीटों पर उम्मीदवार तय करने हैं। इनमें मैनपुरी, रायबरेली, गाजीपुर, बलिया, भदोही, मछलीशहर, प्रयागराज, फुलपुर, कौशांबी, देवरिया, फिरोजाबाद और कैसरगंज सीटें शामिल हैं। इस समय भाजपा रणनीतिकारों की सबसे बड़ी उलझन जीताऊ चेहरा तय करने को लेकर है। वहीं, भाजपा पिछली बार जिन तीन सीटों रायबरेली, गाजीपुर मैनपुरी में चुनाव हार चुकी है, उन सीटों पर इस बार हर हाल में चुनाव जीतना चाहती है। इसलिए भी उम्मीदवार तय करने में जल्दबादी नहीं करना चाहती है,ताकि उसके 400 सीट जीतने का लक्ष्य गड़बड़ न हो सके।
इन सीटों पर ज्यादा उलझन
बीजेपी के रणनीतिकारों के सामने सबसे अधिक उलझन रायबरेली, कैसरगंज और गाजीपुर सीट को लेकर है। इनमें रायबरेली और गाजीपुर सीट पर विपक्ष का कब्जा है। जबकि कैसरगंज सीट पर मौजूदा सांसद बृजभूषण शरण सिंह खुद मैदान में उतरने के लिए अड़े हैं। वहीं सपा के गढ़ मैनपुरी सीट को जीतने के लिए दमदार चेहरे की तलाश में है जो डिंपल यादव मुकाबला कर सके। सूत्रों की माने तो प्रयागराज, फुलपुर और कौशांबी में मौजूदा सांसदों के स्थान पर भाजपा नए चेहरे पर दाव लगा सकती है।
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