लखनऊ। देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस का कभी देश के सबसे बड़े सूबे यूपी में एकाधिकार था। बात करे 1984 में तो कांग्रेस ने यूपी उत्तराखंड की 85 में से 83 सीटों पर कब्जा जमाया था वहीं पिछले चुनाव 2019 में मात्र एक सीट जीतने में सफलता पाई थी। अब 2024 के आम चुनाव में कांग्रेस का कोई दिग्गज नेता मैदान में उतरना नहीं चाहती। पहले राहुल गांधी ने यूपी से रिश्ता तोड़ा,अब सोनिया गांधी ने भी राज्यसभा का उच्चसदन जाकर यूपी से किनारा कर लिया। इसके पहले यूपी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी भी यूपी से दूर जा चुके हैं। वहीे बता दें कि यूपी का उच्च सदन में कोई भी कांग्रेसी प्रतिनिधि नहीं कर रहा है।एक तरह से कहा जा रहा है कि कांग्रेस यूपी में शक्तिविहीन होती जा रही है। अब तो लोकसभा में कोई चमत्कार ही कांग्रेस को जीवनदान दे सकती है।
पार्टी का लगातार घट रहा कद
कभी यूपी की 85 में से 83 सीटों पर कब्जा जमाने वाली कांग्रेस की औकात अब मात्र 17 सीट पर चुनाव लड़ने की रह गई है। इन सीटों पर भी मैदान में उतरने के लिए दमदार प्रत्याशी नहीं मिल रहा जो मैदान मारने की मादा रखता है। अब कांग्रेस को सपा की ओर देखकर अपने प्रत्याशी उतारने पड़ रहे है। सोनिया गांधी और राहुल गांधी के बाद कांग्रेसी प्रियंका गांधी को उम्मीद भरी नजरों से देख रहे थे, लेकिन अभी तक उनके चुनाव लड़ने के कोई संकेत नहीं मिला। कांग्रेस इस चुनाव में यूपी से अपनी मौजूदा संख्या एक को आगे बढ़ा पाएगी तो कितना या 1977 और 1998 वाला शून्य का इतिहास दोहराएगी, यही सबसे बड़ा सवाल है। 1977 और 1998 में प्रदेश में कांग्रेस पार्टी का खाता तक नहीं खुल सका था।
इस तरह रहा कांग्रेस सफर
वर्ष लड़ी जीती
1952 86 81
1957 86 70
1962 86 62
1967 85 47
1971 78 73
1977 85 00
1980 85 51
1984 85 83
1989 84 15
1991 80 05
1996 85 05
1998 76 00
1999 77 10
2004 93 09
2009 69 21
2014 66 02
2019 67 01
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