अपनों ने रूठकर बढ़ाई सपा की टेंशन, आज मुलायम के गढ़ में रणनीति बनाएंगे सलीम शेरवानी

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The close ones got angry and increased the tension of SP, today Salim Sherwani will make strategy in Mulayam's stronghold.
मुस्लिम नेताओं में सपा के प्रति असंतोष बढ़ गया। एक के बाद एक करके कई दिग्गजों ने पार्टी छोड़ दी।

बदायूं। यह हार दर हार साबित होता जा रहा है कि अखिलेश यादव मुलायम सिंह यादव से मिली राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने में नाकाम सिद्ध हो रहे है। पहले परिवार में बिखराव अब पार्टी में बिखराव । एक— एक करके दिग्गज नेता पार्टी का साथ छोड़ते जा रहे है। कभी बदायूं सपा का गढ़ कहा जाता था, हालात आज यह है कि यहां पार्टी छोड़ने वाले अपनी आवाज बुलंद करने के लिए यहीं से शुरूआत करने जा रहे है।

दरअसल अखिलेश यादव भले ही पद और ओहदा बड़े नेताओं को बांट देते है,लेकिन सारे फैसले स्वयं करते है। यहीं वजह है कि राज्यसभा चुनाव में अपने पसंदीदा प्रत्याशी को उतारकर कई को नाराज कर दिया। दरअसल पिछले कई महीने से वह पीडीए की आवाज बुलंद करते आ रहे थे, लेकिन जब टिकट देने की बारी आई तो कायस्थों को मैदान में उतार दिया। कई मुस्लिम नेताओं की इच्छाओं को ​मार दिया, जिससे मुस्लिम नेताओं में सपा के प्रति असंतोष बढ़ गया। एक के बाद एक करके कई दिग्गजों ने पार्टी छोड़ दी।

सहसवान में महापंचायत

बदायूं के सहसवान में सेकुलर फ्रंट की बुधवार को महापंचायत होनी है, इसमें सपा छोड़ने वाले कई दिग्गज मैदान में उतरकर भावी रणनीति का एलान करेंगे। इस महापंचायत पर भाजपा और बसपा के साथ सपा की भी नजर है। पूर्व सांसद सलीम शेरवानी भी शामिल होंगे। इनके साथ ही राष्ट्रीय सचिव पद से इस्तीफा देने वाल पूर्व विधायक आबिद रजा और योगेंद्र सिंह तोमर सार्वजनिक रूप से एक मंच पर होंगे।

सहसवान से विधायक चुने गए थे मुलायम सिंह

यादव-मुस्लिम वोट बैंक को एकजुट कर सपा के संस्थापक मुलायम सिंह यादव यहां से 1996 में विधायक चुने जा चुके हैं। इसके बाद 2007 में मुलायम सिंह यादव ने गुन्नौर सीट से रिकॉर्ड मतों से जीत दर्ज की। 2004 में संभल लोकसभा सीट से मुलायम सिंह ने अपने भाई प्रोफेसर रामगोपाल यादव को चुनाव लड़ाया। इस इलाके को मुलायम सिंह का गढ़ कहा जाता था। उन्होंने भी रिकॉर्ड मतों से जीत दर्ज की। यादव-मुस्लिम बाहुल्य बदायूं और संभल बेल्ट में सपा की पकड़ काफी मजबूत रही है। यादव-मुस्लिम गठजोड़ के बल पर ही सलीम शेरवानी 1996, 1998, 1999 और 2004 के सपा के टिकट पर सांसद चुने गए।

आबिद का सपा के प्रति सख्त रुख

सपा के राष्ट्रीय सचिव पद से इस्तीफा देने के बाद पूर्व विधायक आबिद रजा ही बागी रुख अपनाए हुए हैं। मंगलवार को सलीम शेरवानी भले लखनऊ में सपा मुखिया अखिलेश यादव से मुलाकात करने पहुंचे थे, लेकिन आबिद रजा बुधवार को होने वाली सेकुलर महापंचायत की तैयारियों में जुटे थे।मंगलवार को आबिद ने कई इलाकों में जनसंपर्क कर लोगों से महापंचायत में आने का आह्वान किया। सहसवान में महापंचायत की चल रहीं तैयारियां को भी देखा।

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