92 सांसदों के निलं​बन से सकते में विपक्ष: आज की बैठक में सामूहिक इस्तीफा देने पर बन सकती है सहमति

नई दिल्ली। 13 दिसंबर को लोकसभा की कार्रवाई दौरान हुए हंगामे के बाद से पूरा विपक्ष सरकार को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता है। विपक्षी सांसद सुरक्षा में चूक मामले पर विस्तार से चर्चा चाहता है,जबकि सरकार इस पर बात नहीं करना चाहती है। इसे लेकर विपक्ष संसद में जमकर हंगामा कर रहा है। इसी हंगामे की वजह से देश के संसदीय कार्रवाई के इतिहास की विरोध में विपक्षी सांसद मंगलवार को इंडी की बैठक में सामूहिक इस्तीफा देने पर विचार कर सकते है। वैसे तो आज की बैठक में लोकसभा चुनाव में सीट के बंटवारे को लेकर चर्चा होनी है। वैसे अब तो यह बैठक के बाद ही तय होगा कि विपक्ष किस मुददे पर आगे बढ़ना चाहता है। वह इस्तीफा देकर जनता के बीच जाएगा या बची हुई ताकत से सरकार से लड़ाई लड़ेगा।

कार्यवाही में व्यवधान डालने पर कार्रवाई

बता दें कि विपक्ष सुरक्षा में चूक पर तत्काल चर्चा के लिए बहस चाहता है, इसे ​लेकर विपक्ष के सांसदलोकसभा और राज्यसभा में नारेबाजी और नियमों में उल्लंघन के बाद ‘कार्यवाही में व्यवधान’ डालने के आरोप में अब तक 92 विपक्षी सांसदों को निलंबित किया जा चुका है। पिछले हफ्ते गुरुवार को लोकसभा के 13 सांसद और राज्यसभा से एक सांसद को निलंबित किया गया था। वहीं, सोमवार को लोकसभा से 33 और राज्यसभा से 45 सासंदों को निलंबित किया गया। यह किसी भी सत्र में निलंबित सांसदों की सबसे बड़ी संख्या है।

अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई

देश के संसदीय इतिहास पर नजर डाले तो संसद से इतनी संख्या में अब तक सांसदों को निलंबित नहीं किया गया था। इससे पहले 1963 में तत्कालीन राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन संसद के संयुक्त सत्र को संबोधन के दौरान हुए हंगामे और वाकआउट के बाद बड़ी संख्या में सांसद को निलंबित किया गया था। इसके बाद 1966 में राज्यसभा से दो सांसदों को दिनभर की कार्यवाही से निलंबित कर दिया गया था। सांसदों की सबसे बड़ी संख्या में निलंबन की कार्रवाई राजीव गांधी सरकार के वक्त 1989 में हुई थी। जब एक साथ 63 सांसदों को तीन दिन के लिए निलंबित किया गया था। उस वक्त इंदिरा गांधी की हत्या को लेकर बने ठक्कर कमीशन की रिपोर्ट पर हंगामा हो रहा था।

मोदी राज में बढ़ा सांसदों का निलंबन

मोदी राज में इससे पहले 2018 में भी बड़े पैमाने पर सांसदों को निलंबित किया गया था। जनवरी 2019 में शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने तेलगू देशम पार्टी और एआईएडीएमके के कुल 45 सांसदों को दो दिन के लिए निलंबित कर दिया था। टीडीपी के सांसद आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर हंगामा कर रहे थे। वहीं, तमिलनाडु के एआईएडीएमके के सांसद कावेरी नदी पर प्रस्तावित डैम का विरोध कर रहे थे। जुलाई 2018 के मानसून सत्र के दौरान कांग्रेस के छह सांसदों को पांच दिन के लिए निलंबित कर दिया गया था

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